मुख्तार को माफिया मानते हैं? एंकर ने ओपी राजभर की पार्टी के नेता से पूछा सवाल
लखनऊ। बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी पर दर्जनों मामले दर्ज हैं और वे फिलहाल जेल में बंद हैं। जेल में बंद होने के बाद भी उत्तरप्रदेश में उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता बरक़रार है। इसी कड़ी में पिछले दिनों सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर उनसे जेल में भी मिलने पहुंचे थे। मुख़्तार अंसारी से जुड़े मुद्दे पर टीवी डिबेट के दौरान जब एंकर ने सुभासपा नेता से पूछा कि क्या आप मुख़्तार को माफिया मानते हैं तो उन्होंने कहा कि ये तय करना न्यायालय का काम है। साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश में धर्म और जाति देखकर कार्रवाई होती है।
एक टीवी चैनल पर आयोजित टीवी डिबेट के दौरान एंकर ने सुभासपा नेता अरुण राजभर से सवाल पूछा कि क्या आप मुख़्तार अंसारी को माफिया मानते हैं? इसके जवाब में सुभासपा नेता ने कहा कि अपराधी कौन है और अपराधी कौन नहीं है यह न्यायालय तय करेगा। अभी उनको सजा नहीं हुई है। वो ट्रायल में है। जो ट्रायल में रहता है उसको आप जज बनाकर फैसला नहीं सुना सकते हैं। अपराधी मुख्यमंत्री भी हैं, उनके ऊपर भी सैंकड़ों मुक़दमे हैं। मुक़दमे केशव मौर्या के ऊपर भी थे और उन्होंने खुद वापस लिए।
इसके बाद जब अरुण राजभर से एंकर ने पूछा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लड़ाई माफियावाद और विकासवाद के बीच है। शायद वो आपकी तरफ इशारा कर रहे थे क्योंकि आपके पिताजी ओम प्रकाश राजभर मुख़्तार अंसारी से मिलने जेल में गए थे। इसके जवाब में अरुण राजभर ने कहा कि भाजपा माफियावाद और परिवारवाद के मुद्दे पर छाती पिटती है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि यहां मुसलमान, पिछड़ा और दलित देखकर कार्रवाई की जाती है।
बता दें कि पिछले दिनों ओम प्रकाश राजभर ने बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी से मुलाकात की थी। साथ ही उन्होंने मुख़्तार को टिकट देने की बात करते हुए कहा था कि बीजेपी उन्हें माफिया कहती है लेकिन यूपी सरकार में एक तिहाई लोग अपराधी हैं। वह(मुख़्तार अंसारी) अपने दम पर चुनाव जीत सकते हैं। वह जहां भी चुनाव लड़ने का फैसला करेंगे, मैं व्यक्तिगत रूप से उनका समर्थन करूंगा।
मुख़्तार अंसारी पहली बार 1996 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद मुख़्तार अंसारी ने वर्ष 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में भी मऊ से जीत हासिल की। मुख़्तार ने 2007, 2012, 2017 का चुनाव जेल में बंद रहकर जीता। मुख़्तार पर कई मामले दर्ज हैं। पिछले दिनों उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने मुख़्तार अंसारी और उसके परिवार की कई संपत्तियों को अवैध बताकर ढहा दिया।