‘महाराष्ट्र में नई सरकार का ख्वाब स्वप्नदोष जैसा, समय रहते सावधान हो जाओ’ : शिवसेना
मुंबई | महाराष्ट्र में जबर्दस्त सियासी उठापटक व पालाबदल के बीच शिवसेना ने भाजपा और अपने ही बागी विधायकों पर निशाना साधा है। शिवसेना ने अपने मुख पत्र ‘सामना’ के संपादकीय में मौजूदा सियासी तूफान को स्वप्न दोष की तरह बताया है। पार्टी ने अपने बागियों को चेताया है कि समय रहते सावधान हो जाएं, वरना उन्हें कचरे में फेंक दिया जाएगा।
राजभवन में आवाजाही थमी-
सामना में शिवसेना ने लिखा कि, ‘महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रमों का अंत क्या होगा ये कोई भी नहीं कह सकता है। उस पर हमारे महामहिम राज्यपाल श्रीमान कोश्यारी जी कोरोना से ग्रस्त हो गए हैं। इसलिए राज्य के विपक्षियों का राजभवन में आना-जाना भी थोड़ा थम गया है। राज्य सरकार का निश्चित तौर पर क्या होगा? इस पर शर्तें लगी हैं। शिवसेना में खड़ी फूट पड़ गई है, सरकार संकट में आ गई है, अब क्या होगा? इस पर चर्चा गर्म है।
राजनीति में सब अस्थिर, बहुमत और चंचल-
शिवसेना का कहना है कि ‘राजनीति में सब कुछ अस्थिर होता है और बहुमत उससे भी चंचल होता है। शिवसेना के टिकट पर, पैसों पर, निर्वाचित हुए मेहनतवीर विधायक भाजपा की गिरफ्त में फंस गए हैं। वे पहले सूरत और बाद में विशेष विमान से असम चले गए। इन विधायकों की इतनी भागदौड़ क्यों चल रही है?
मजाक कर रही भाजपा, महाराष्ट्र की जनता मूर्ख नहीं-
अपनी ही पार्टी में टूट के खतरे को झेल रही शिवसेना ने सामना में यह भी लिखा कि भाजपा को यह मजाक नहीं करना चाहिए कि शिवसेना में जो घटनाक्रम चल रहे हैं उससे उसका संबंध नहीं है। यह मजाक भाजपा को नहीं करना चाहिए। सूरत के जिस होटल में ये ‘महामंडल’ था वहां महाराष्ट्र के भाजपाई उपस्थित थे। फिर सूरत से इन लोगों को असम ले जाते ही गुवाहाटी हवाई अड्डे पर असम के मंत्री स्वागत के लिए मौजूद रहते हैं। महाराष्ट्र की जनता इतनी मूर्ख नहीं है कि वह इसके पीछे का गूढ, दांव-पेंच न समझ सके। होटल, हवाई जहाज, वाहन, घोड़े, विशेष सुरक्षा व्यवस्था भाजपा सरकार की ही कृपा नहीं है क्या?
भाजपा व किरीट सोमैया पर तीखा हमला-
शिवसेना ने सामना में लिखा, ‘हमें तो भारतीय जनता पार्टी के नैतिक अधिष्ठान की सराहना करने की इच्छा होती है। कल तक भ्रष्टाचार, आर्थिक कदाचार के आरोपों वाले शिवसेना विधायकों पर हमला करने वाले, उन्हें ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स का डर दिखाकर ‘अब तुम्हारी जगह जेल में है’ ऐसा बोलने वाले किरीट सोमैया इसके बाद क्या करेंगे? ये सभी विधायक कल से भाजपा के समूह में शामिल हो गए हैं और दिल्ली के राजनीतिक गागाभट्टों ने उन्हें पवित्र, शुद्ध कर लिया है। अब किरीट सोमैया को इन सभी शिवसेना विधायकों के चरणपूजन करने होंगे, ऐसा नजर आ रहा है।
मुंबई के ‘सागर बंगले’ में उत्साह पर तंज-
सामना में भाजपा नेता व पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस पर भी नाम लिए बगैर तंज किया गया है। सामना में शिवसेना ने लिखा है कि ‘अकोला के विधायक नितिन देशमुख सूरत से मुंबई लौट आए हैं और उन्होंने जो हुआ, इस बारे में सनसनीखेज सच्चाई बताई। भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र में सत्ता स्थापना के लिए गुप्त बैठकें शुरू की हैं। मुंबई के ‘सागर’ (देवेंद्र फडणवीस का निवास) बंगले में उत्साह की लहर उफान मार रही है। उस लहर की झाग कई लोगों की नाक और मुंह में गई, परंतु भाजपा किसके बल पर सरकार स्थापना करना चाहती है।
शिंदे को पहले विधानभवन की सीढ़ी चढ़नी होगी-
सामना में पार्टी ने लिखा है कि बागी नेता व महाराष्ट्र के नगर विकास मंत्री शिंदे और उनके साथ मौजूद विधायकों को पहले मुंबई आना होगा। विश्वासमत प्रस्ताव के समय महाराष्ट्र की जनता की नजर से नजर मिलाकर विधानभवन की सीढ़ी चढ़नी होगी। शिवसेना ने प्रत्याशी बनाया, मेहनत से जीता कर लाए और अब उससे ही बेईमानी कर रहे हो? इन सवालों के जवाब देने पड़ेंगे।
ठाकरे की लोकप्रियता शिखर पर, विधायक लौट आएंगे-
शिवसेना का कहना है कि विधानसभा में जो होना है वो होगा, परंतु मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे की लोकप्रियता शिखर पर है। लोक मन में उद्धव ठाकरे प्रिय हैं। शिवसेना का संगठन मजबूत है इसलिए अलग समूह बनाकर असम गए लोगों को विधायक, माननीय बनने का मौका मिला। ये सभी विधायक एक बार फिर चुनाव का सामना करते हैं तो जनता उन्हें पराजित किए बगैर नहीं रहेगी। इसका भान इन लोगों को नहीं होगा। इसलिए शिवसेना के विधायक व माननीय पुन: अपने घर लौट आएंगे। प्रवाह में शामिल होंगे। आज जो भाजपा वाले उन्हें हाथों की हथेली पर आए जख्म की तरह संभाल रहे हैं, वे आवश्यकता समाप्त होते ही पुन: कचरे में फेंक देंगे। भाजपा की परंपरा यही रही है।
विधायकों को आतंक की तलवार के नीचे रखा-
महाराष्ट्र में डगमगाती सरकार के बीच शिवसेना ने अपने मुख पत्र में लिखा कि ‘कोई कितना भी जोर लगा रहा होगा फिर भी तूफान खत्म होगा और आकाश साफ होगा। महाराष्ट्र में नई सरकार स्थापित करने का सपना किसी ने देखा ही होगा तो वह उनका स्वप्नदोष है। राज्यसभा, विधान परिषद चुनाव की ‘अतिरिक्त’ जीत किसकी वजह से मिली है, यह अब खुल गया है। अब तो विधायकों को बंद करके रखा गया है। आतंक की तलवार के नीचे रखा गया है, यह वापस लौटे नितिन देशमुख ने साफ कर दिया है। शिवसेना ने ऐसे कई प्रसंगों को पचाया है। ऐसे संकटों के सीने पर पांव रखकर शिवसेना खड़ी रही। जय-पराजय को पचाया। सत्ता आई या गई, शिवसेना जैसे संगठन को फर्क नहीं पड़ता है। फर्क पड़ता है तो भाजपा के प्रलोभन और दबाव के शिकार हुए विधायकों को।
शिवसैनिकों ने ठान लिया तो सभी लोग हमेशा के लिए ‘भूतपूर्व’ हो जाएंगे, इसके पहले की बगावतों का इतिहास यही कहता है। समय रहते सावधान हो जाओ, समझदार बनो!