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तालिबान की मौजूदगी में अंतरराष्ट्रीय वार्ता को भारत तैयार !

  • November 9, 2018
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तालिबान की मौजूदगी में अंतरराष्ट्रीय वार्ता को भारत तैयार !

नई दिल्ली । भारत पहली बार तालिबान की मौजूदगी में किसी तरह की वार्ता में शिरकत करने को राजी हो गया है। कई देशों के प्रतिनिधियों के साथ प्रस्तावित यह वार्ता रूस 09 नवंबर को मास्को में आयोजित कर रहा है। हालांकि, भारत ने अपनी मौजूदगी को गैर आधिकारिक बताया है। भारत ने गुरुवार को कहा कि वह अफगानिस्तान पर रूस द्वारा आयोजित की जा रही बैठक में गैर-आधिकारिक स्तर पर भाग लेगा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस संबंध में पूछे गए सवालों के जवाब में कहा है कि रूस द्वारा अफगानिस्तान पर आयोजित वार्ता के बारे में हमें जानकारी है। यह 09 नवंबर को मास्को में हो रही है। उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के उन सभी प्रयासों का समर्थन करता है जिससे वहां सुरक्षा, एकता, बहुलवाद स्थिरता और संपन्नता लाने में मदद मिले। प्रवक्ता ने कहा कि भारत का मानना है कि इस तरह का प्रयास ‘अफगान के नेतृत्व में, अफगान के लिए और अफगान द्वारा’ नियंत्रित होना चाहिए। इसमें अफगानिस्तान सरकार की भागीदारी होना चाहिए। प्रवक्ता ने कहा कि बैठक में हमारी भागीदारी गैर आधिकारिक स्तर पर होगी। बैठक में तालिबान के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे।

रूसी विदेश मंत्रालय ने पिछले सप्ताह कहा था कि अफगानिस्तान पर मास्को- प्रारूप बैठक 09 नवंबर को होगी और अफगान तालिबान के प्रतिनिधि उसमें भाग लेंगे। इस प्रकार की पहली बैठक इसी साल 04 सितंबर को प्रस्तावित थी, लेकिन आखिरी समय में इसे रद्द कर दिया गया था क्योंकि अफगान सरकार बैठक से हट गई थी। रूसी विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस बातचीत में भाग लेने के लिए अफगानिस्तान, भारत, ईरान, चीन, पाकिस्तान, अमेरिका और कुछ अन्य देशों को निमंत्रण भेजा गया है।

गौरतलब है कि रूस भारत से वार्ता में शामिल होने को कहता रहा है। लेकिन भारत तालिबान के साथ वार्ता को लेकर हिचकता रहा है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कई वैश्विक मुद्दों पर बातचीत की थी। उसके बाद यह बैठक आयोजित की जा रही है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि गैर आधिकारिक रूप से वार्ता में शामिल होने के फैसले को रणनीतिक बदलाव नहीं माना जाना चाहिए। हालांकि कूटनीतिक जानकार इसे रणनीतिक रूप से बड़ा बदलाव माना रहे हैं। भारत तालिबान को राजनीतिक मान्यता देने से इनकार करता रहा है। तालिबान को आतंकी संगठन मानते हुए भारत ने हमेशा से इसके खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।