कुर्सी के लिए भिड़ गए अखिलेश-माया के साईकिल-हाथी, सपा और बसपा के नेताओं में भिड़ंत
कानपुर । भले ही सपा-बसपा के दिल मिल गए हों लेकिन स्थानीय स्तर पर मामला कुछ और ही नजर आ रहा है । नेता एकदूसरे के नेताओं को कुर्सी तक छोड़ने को तैयार नही हैं , जिससे कई बार सम्मेलनों में गुटबाजी चरम पर रहती है । कंवर में तो सपा-बसपा गठबंधन के पहले संयुक्त सम्मेलन में ही घमासान देखने को मिला। मंच पर बैठने को लेकर दोनों पार्टियों के पदाधिकारियों में खींचतान मची रही। काफी देर तक वरिष्ठ पदाधिकारियों के बीच हुई गरमागरम बातचीत के बाद सपाइयों ने बसपा पदाधिकारियों के लिए मंच पर तीन कुर्सियां खाली कीं। इसके बाद सम्मेलन आगे बढ़ सका। अकबरपुर लोकसभा सीट पर चुनावी तैयारियों को अंजाम देेने के लिए सोमवार को मैनावती मार्ग स्थित एक गेस्ट हाउस में दोनों पार्टियों के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का संयुक्त सम्मेलन था। सम्मेलन शुरू होने से पहले ही सपा जिलाध्यक्ष मोईन खान अपने अन्य पदाधिकारियों के साथ आकर मंच पर बैठ गए।
थोड़ी देर बाद बसपा के जिलाध्यक्ष राजशंकर कुरील, मंडल कोआर्डिनेटर और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी पहुंचे तो उनके के लिए मंच पर कुर्सियां खाली नहीं थीं। काफी देर खड़े रहे लेकिन सपाइयों ने उन्हें जगह नहीं दी। बसपा जिलाध्यक्ष ने मंच पर जगह बनाने की बात कही तो सपाई कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हुए। दोनों दलों के जिलाध्यक्षों के बीच काफी देर तक गरमागरम बातचीत के बाद बसपा पदाधिकारियों के लिए तीन कुर्सियां छोड़ी गईं। सम्मेलन में भाजपा के बूथ मैनेजमेंट को कड़ी टक्कर देने की रणनीति पर चर्चा की गई। बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं को सक्रियता बढ़ाने के निर्देश दिए। सपा और बसपा सरकार में हुए विकास कार्यों को जन जन तक पहुंचाने की बात कही गई। इस बात पर जोर दिया गया कि पार्टी कैडर का वोटर वोट डालने से रह न जाए। यह सुनिश्चित करना बूथ स्तरीय कार्यकर्ता की ही जिम्मेदारी है। सम्मेलन में दोनों दलों के एक हजार से अधिक कार्यकर्ता मौजूद थे।