मुज़फ्फरनगर दंगा पीड़ितों को ‘जमीयत’ ने दिए मकान, अरशद मदनी बोले- ‘फसाद में उजड़े लोगो की सहायता के लिए सरकार को खुद खड़ा होना चाहिए था’
मुजफ्फरनगर | जमीयत उलेमा हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने करीब साढ़े पांच साल पहले हुए मुजफ्फरनगर के दंगे के विस्थापित 85 परिवारों के लोगों को नवनिर्मित जमीयत कालोनी के 85 मकानों की चाबियां सौंपी। उन्होंने कहा कि फसाद में उजड़े लोग, चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान, की सहायता के लिए सरकार को खुद खड़ा होना चाहिए था। भाईचारगी, मेल मिलाप, अमनोअमान व मोहब्बत हमारे मुल्क की सदियों नहीं हजारों साल पुरानी विशेषता व खसूसियत पर लोग अमल करते तो कभी इस चीज की जरूरत पेश नहीं आती। उन्होंने कहा कि फसादात में उजड़े लोगों की मदद किस तरह से की जाती है, आज इसकी मिसाल गैर मुस्लिम मुल्क न्यूजीलैंड ने पेश की है। उन्होंने कहा कि नफरत की सियासत करने वालों को सौ मर्तबा अपने गिरेबान में झांकना चाहिए और न्यूजीलैंड की ईसाइ हुकूमत से सबक लेना चाहिए। हमारे मुल्क के अंदर जो हमदर्दी हजारों साल पुरानी है, इसकी वजह से मजहब से ऊपर उठकर हिंदू मुसलमान, सिख ईसाई सब गांव गांव के अंदर आबाद है और सैकड़ों और हजारों साल से आबाद हैं। यहां तो इस मोहब्बत का इजहार बहुत मुकम्मल तरीके से होना चाहिए था। जो पार्टियां अपनी हुकूमतें सिर्फ नफरत की सियासत से चलाती हैं, उन्हें सोचना चाहिए कि इंसानियत की किस तरह से खिदमत की जाती है। उन्होंने कहा कि जमीयत के गठन को 100 वर्ष पूरे हो चुके हैं।
जमीयत अध्यक्ष ने 85 मकानों की दंगा पीड़ितों को चाबी सौंपी-
जमीयत उलेमा हिंद ने मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए दंगे में विस्थापित हुए 85 मुस्लिम परिवारों के लिए शहर से सटे गांव बागोवाली गांव में अलग से कॉलोनी बनाई है। जमीयत कालोनी के नाम से बनाई गई इस कॉलोनी में बनकर पूरे हो गए 85 पक्के मकानों की चाबी जमीयत उलेमा हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने पीड़ित परिवारों को सौंपी। यहां पर अभी 65 मकान और बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर में साल 2013 में हुए दंगा एक भयानक घटना रही। इस दंगे में हजारों परिवार बेघर हो गये थे और उनमें बड़ी संख्या में ऐसे लोग शामिल थे, जो भय के कारण अपने घरों में वापस लौटने से इंकार करते रहे। इन परिवारों को अपने मकानों में बसाने के लिए जमीयत उलमा ए हिन्द लोगों के सहयोग से 150 दंगा पीड़ित परिवारों के लिए कालोनी बनाई। इसमें 85 परिवारों को मकानों की चाबियां दी गई।