वाराणसी से नामांकन रद्द होने पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तेज बहादुर, प्रशांत भूषण लड़ेंगे केस
नई दिल्ली | सीमा सुरक्षा बल के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव ने सोमवार को निर्वाचन आयोग के उस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जिसमें वाराणसी लोकसभा सीट से उसकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई थी। वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ रहे हैं।
तेज बहादुर यादव ने जवानों को दिए जाने वाले भोजन के बारे में शिकायत करते हुए एक वीडियो ऑनलाइन पोस्ट किया था जिसके बाद 2017 में उसे बल से से बर्खास्त कर दिया गया था। सपा ने तेज बहादुर को वाराणसी संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाया है। बहरहाल, निर्वाचन अधिकारी ने यादव का नामांकन पत्र यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसने वह प्रमाणपत्र जमा नहीं किया जिसमें यह स्पष्ट किया गया हो कि उसने भ्रष्टाचार या विश्वासघात की वजह से बर्खास्त नहीं किया गया।
तेज बहादुर यादव ने अपनी याचिका में कहा है कि आयोग का निर्णय भेदभावपूर्ण और अतार्किक है तथा इसे खारिज किया जाना चाहिए। सपा ने शुरू में मोदी के खिलाफ शालिनी यादव को टिकट दिया था लेकिन बाद में उसने प्रत्याशी बदल कर, बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर को वाराणसी संसदीय सीट से उम्मीदवार बनाया।
बता दें कि बीएसएफ के बर्खास्त सिपाही तेज बहादुर यादव का पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी सीट से चुनाव लड़ने का सपना उस समय टूट गया जब चुनाव आयोग ने उनका नामांकन रद्द कर दिया। नामांकन पत्र के नोटिस का जवाब देने के दौरान तेज बहादुर के समर्थकों और पुलिस के बीच जमकर नोकझोंक हुई थी, जिसके बाद पुलिस ने समर्थकों को कचहरी परिसर से बाहर कर दिया।
नामांकन रद्द होने के बाद तेज बहादुर ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा था कि मेरा नामांकन गलत तरीके से खारिज किया गया है। तेज बहादुर ने कहा कि वो अपने साथ हुई इस ज्यादती के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उन्होंने कहा कि नामांकन रद्द करने के लिए सरकार के तरफ से डीएम पर दबाव बनाया गया है। तेज बहादुर ने कहा था कि 11 बजे तक मैं अपना स्पष्टीकरण जमा करने गया और मेरा नामांकन यह कह के रद्द कर दिया कि मैं ने 11 बजे तक अपने साक्ष्य जमा नहीं किए। ये बिल्कुल तानाशाही रवैया है।
तेज बहादुर के वकील राजेश गुप्ता ने कहा था कि हमें प्रशासन द्वारा मांगे गए सभी साक्ष्यों को जमा कर दिया। बावजूद उसके तेज बहादुर का नामांकन खारिज कर दिया गया। अपने हक के लिए हम सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।