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November 21, 2024
राजनीति राष्ट्रीय

हरियाणा: फीका रहा भाजपा का 75 पार का नारा,भारी पड़ी दलितों की एकजुटता

  • October 25, 2019
  • 1 min read
हरियाणा: फीका रहा भाजपा का 75 पार का नारा,भारी पड़ी दलितों की एकजुटता

चंडीगढ़। हरियाणा में इस बार 75 पार का नारा देने वाली भाजपा अपना पुराना प्रदर्शन भी नहीं दोहरा पाई, जबकि करीब पांच महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने विपक्ष का सूपड़ा साफ करते हुए राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 79 पर बढ़त हासिल की थी।
दरअसल, इस विधानसभा चुनाव में भाजपा के राष्ट्रवाद के मुद्दे पर जाट-मुस्लिम-दलितों की एकजुटता भारी पड़ गई। बाकी रही सही कसर अति आत्मविश्वास, गुटबाजी, गलत टिकट वितरण और कार्यकर्ताओं से दूरी ने पूरी कर दी।

पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि राज्य में पार्टी के बुरे प्रदर्शन के पीछे महज पांच महीने पहले लोकसभा में मिली प्रचंड जीत है। इस जीत के कारण न सिर्फ राज्य सरकार और राज्य इकाई पीएम नरेंद्र मोदी के करिश्मे के भरोसे ढीली पड़ गई, बल्कि टिकट वितरण में भी लापरवाही बरती गई।

कई बड़े नेताओं ने अपने समर्थकों को टिकट न मिलने पर उन्हें निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में न सिर्फ उतारा बल्कि अंदरखाने पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ जमकर समर्थन भी दिया। इसका परिणाम यह रहा कि लोकसभा चुनाव में 55 फीसदी वोट हासिल करने वाली पार्टी को इस चुनाव में करीब 20 फीसदी वोटों का नुकसान हुआ।

टिकट वितरण में खामी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बतौर बागी मैदान में उतरे भाजपा नेताओं ने पृथला, पुंडरी, महम और दादरी में बाजी मारी और इसके अलावा आधा दर्जन सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों की जीत की संभावनाओं पर पानी फेर दिया।

बीते चुनाव में भाजपा ने खुलकर जाट बनाम गैर जाट की राजनीति नहीं की थी लेकिन इस बार इसका उल्टा था। इस कारण जाट और मुसलमान बिरादरी ने भाजपा के खिलाफ रणनीतिक तौर से वोटिंग की, जबकि कई सीटों पर दलित बिरादरी जाट और मुसलमान के साथ खड़ी हो गई। यही कारण है कि पार्टी के ज्यादातर जाट विधायक, मंत्री और उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा।

अहिरवाल में नहीं चल पाया राव का जादू
अहिरवाल में राव इंद्रजीत का जादू इस बार नहीं चल पाया। बादशाहपुर, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जैसी सीटों पर भी भाजपा प्रत्याशी हार गए हैं। सरकार में कद्दावर कहे जाने वाले लोक निर्माण मंत्री का टिकट काट कर पार्टी ने बादशाहपुर से मनीष यादव को टिकट दिया था, लेकिन यादव पार्टी को जीत नहीं दिलवा सके।

जीटी रोड बेल्ट में भी हारी भाजपा
कालका, रादौर, नारायणगढ़, शाहबाद, लाडवा, गुहला, नीलोखेड़ी, सोनीपत, इसराना, असंध और रादौर सीट पर भी भाजपा हार गई है। यह जीटी रोड बेल्ट की वे सीटें हैं। जिन्हें पार्टी अपना मान कर चल रही थी। पिछले चुनाव में यहां से आशातीत सफलता मिलने के बाद इन सीटों पर हारने से पार्टी भी सदमे में है।

दिग्गजों को जनता ने दिखाई जमीन
हरियाणा की जनता ने भाजपा के दिग्गज मंत्रियों को जमीन दिखा दी है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को ही टोहाना से जीत पाना मुश्किल हो गया। इसके अलावा दिग्गजों में शुमार होने वाले मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, ओम प्रकाश धनखड़, मनीष ग्रोवर, कविता जैन, रामबिलास शर्मा, कर्ण देव कांबोज, कृष्ण बेदी, रतनलाल पंवार चुनाव हार गए हैं।

कांग्रेस के दिग्गज भी हारे
केंद्र की राजनीति में सक्रिय रणदीप सुरजेवाला को उनके क्षेत्र की जनता ने चित कर दिया है। हुडडा के खास विधायक करण सिंह दलाल भी पलवल से हार गए हैं। इसके अलावा गन्नौर से कुलदीप शर्मा भी जीत हासिल करने में नाकाम रहे। टिकट मिलने से पहले ही नामांकन करने वाले आनंद सिंह दांगी को भी महम की जनता ने नकार दिया। सिटिंग एमएलए में जयतीर्थ दहिया राई और उदयभान होडल से चुनाव हार गए हैं।

एक अंक पर सिमटी इनेलो
इंडियन नेशनल लोकदल के सहारे पिछली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल करने वाले अभय सिंह चौटाला अपनी पार्टी से अकेले ही विधायक बने हैं। उनके समधी दिलबाग सिंह ने यमुनानगर से चुनाव लड़ा था वह भी हार गए। किसी समय सत्ता में शीर्ष पर होने वाली इनेलो अब एक विधायक तक सिमट गई है।

दलबदलुओं की भी अधिक नहीं चली
इस चुनाव में अधिक दलबदलू भी नहीं जीत पाए हैं। करीब 14 दलबदलू हार गए हैं। जबकि इनेलो छोड़कर भाजपा में आए रणबीर गंगवा नलवा से, इनेलो छोड़ कांग्रेस में आए प्रदीप चौधरी कालका से, कांग्रेस छोड़ जेजेपी में आए ईश्वर सिंह गुहला और कांग्रेस से जेजेपी में आए देवेंद्र सिंह बबली टोहाना से चुनाव जीत गए हैं।

भाजपा के पीछे रहने के पांच कारण,

1. दो मंत्रियों सहित दस विधायकों के टिकट कटे, जिनमें से सात जीते, पांच हारे
2.नौ सिटिंग विधायकों के टिकट काटे
3.जींद उपचुनाव और लोकसभा के बाद अति उत्साह में आना