जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने के बाद 144 बच्चे गिरफ्तार
जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त के बाद 9 से लेकर 18 साल तक के 144 बच्चों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की किशोर न्याय समिति यानी जुवेनाइल जस्टिस कमिटी (जेजेसी) ने सुप्रीम कोर्ट में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा कि 5 अगस्त के बाद 144 बच्चों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उन्हें अवैध तरीके से उठाया गया था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 142 नाबालिगों को रिहा कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमिटी (जेजेसी) की यह रिपोर्ट राज्य पुलिस और एकीकृत बाल संरक्षण सेवाओं से प्राप्त पैनल के आंकड़ों पर आधारित है।
जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ बाल अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें दावा किया गया है कि 5 अगस्त को विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद से कश्मीर में निवारक निरोध कानून के तहत नाबालिगों को गिरफ्तार किया गया है। बता दें कि 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से से आर्टिकल 370 हटाकर राज्य को कश्मीर और लद्दाख के रूप में दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था।
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के पैनल से इन आरोपों की जांच करने को कहा था। बता दें कि कार्यकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा था कि 5 अगस्त को विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में कई नाबालिगों को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया।
जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमिटी (जेजेसी) की रिपोर्ट की समीक्षा करने पर हिन्दुस्तान टाइम्स ने पाया कि ज्यादातर 9 और 11 साल के बच्चों को मामूली चोट पहुंचाने और कानून व्यवस्था की समस्या पैदा करने के लिए हिरासत में लिया गया था। पैनल ने पुलिस के जवाब का हवाला देते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस तरह के कामों में लिप्त होने के परिणामों को समझे बिना बच्चे दुर्भावनापूर्ण प्रोपेगेंडा में शामिल हो जाते हैं और इन बच्चों का इस्तेमाल निहित स्वार्थों द्वारा किया जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने इस मामले पर कहा कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के नियमों के तहत ही हिरासत में लिया गया। रिपोर्ट में राज्य पुलिस का भी हवाला दिया गया और कहा गया है कि अवैध हिरासत के आरोप बढ़ा-चढ़ा कर पेश किये गए। अक्सर ऐसा होता है कि जब नाबालिग / जुवेनाइल पत्थरबाजी में संलिप्त होते हैं, तो उन्हें मौके पर पकड़ कर घर भेज दिया जाता है। ऐसी कई घटनाएं कहीं ज़्यादा बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जाती हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि किसी भी बच्चे को अवैध तरीके से हिरासत में नहीं लिया गया।
रिपोर्ट यह भी कहती है कि राज्य की पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए डाटा के मुताबिक, 5 अगस्त से 23 सितंबर के बीच 9 से 18 साल के बीच के 144 बच्चों को गिरफ्तार किया गया। जिनमें से 13 से 18 साल के बीच के 9 बच्चों को अशांति फैलाने की आशंका के तहत गिरफ्तार किया गया, वहीं बाकी को शांति भंग करने के केस में गिरफ्तार किया गया। अब तक सिर्फ दो ही बच्चे न्यायायिक हिरासत में हैं, जिन्हें जुवेनाइल होम में रखा गया है। बाद बाकी सबी को रिहा कर दिया गया है।