अलीगढ़ : ACM ने अवैध हॉस्पिटल और इंस्टीट्यूट की जांच में की लीपापोती, साक्ष्य बिना देखे ही कर दी एकपक्षीय जांच
अलीगढ़ । डीएम के जनसुनवाई दरबार मे सामाजिक कार्यकर्ता और छात्र नेता जियाउर्रहमान द्वारा अवैध हॉस्पिटल और इंस्टीट्यूट की शिकायत पर जांच में एसीएम ने लीपापोती कर दी है। डीएम के निर्देश पर एसीएम द्वितीय अंजुम बी ने जांच तो की लेकिन एकपक्षीय । प्रीमियर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एन्ड हार्ट सेंटर की शिकायत जियाउर्रहमान में ने डीएम से की थी । एसीएम ने एसीएमओ डॉ. पीके शर्मा के साथ शुक्रवार को डॉ. वकार हार्ट सेंटर एंड प्रीमीयर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड हॉस्पिटल धोर्रामाफी अलीगढ़ की जांच की। और जांच आख्या डीएम वॉर रूम में पर भेज दी । जांच आख्या से कई सवाल खड़े हो गए हैं ।
एसीएम द्वितीय अंजुम बी ने जांच में उन्होंने बताया है कि डॉ वकार हार्ट सेंटर धोर्रामाफी अलीगढ़ सीएमओ कार्यालय में पंजीकृत है । एवं इस सेंटर के संचालक डॉ.अलवीरा शाह डीजीओ हैं। पंजीकरण में अंकित चिकित्सीय पैनल में कोई भी चिकित्सक हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं है। हार्ट सेंटर में ह्रदय रोग विशेषज्ञ का होना चिकित्सीय दृष्टि से अत्यंत आवश्यक है जो उपलब्ध नहीं पाये गए। जबकि मजे की बात यह है कि एक डीजीओ हार्ट अस्पताल कैसे चला सकती है। न एनिथिसिया के डॉक्टर की पुष्टि हुई है और न ही ICU में योग्य स्टाफ की । जो जांच पर सवाल खड़े कर रहा है ।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, सेंटर में अन्य सभी सुविधाएं सुचारु रुप से क्रियाशील स्थिति में हैं। डॉ वकार हार्ट सेंटर के साथ प्रीमीयर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस संचालित है। मौके पर देखा गया कि यह इंस्टीट्यूट पंजीकरण निबंधक अधिनियम संख्या 021860 के अधीन सोसायटी एक्ट आगरा में पंजीकृत है।तथा संस्था विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी कोर्स का संचालन एमओयू के माध्यम से तिवारी ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन नारायनपुरा मैन रोड बेंगलुरु के द्वारा एवं भारत सेवक समाज तामब्रम बेस्ट चेन्नई व प्रीमियर इंस्टीट्यूट आफ एलाईड हेल्थ साइंस के तहत कार्य कर रहे हैं। यहां हैरान करने वाले सवाल पैदा हो रहे हैं। पहला तो ये कि क्या कोई सोसाइटी मेडिकल कोर्स संचालित करवा सकती है ? दूसरा यह कि बैंगलोर की जिस इंस्टीट्यूट और सोसाइटी को एमओयू के जरिये दिखाया गया क्या उसे यह कोर्स संचालित करने के लिए सरकार या नर्सिंग काउंसिल ऑफ इंडिया और स्टेट मेडिकल फैकल्टी से संबद्धता है? इन बिंदुओं पर जांच नही की गई है । सवाल यह भी है कि एक इंस्टीट्यूट महज सोसायटी एक्ट में पंजीकृत मात्र से कैसे चल सकता है ?
वहीं जांच आख्या में पत्रांक और दिनांक भी गायब है । जांच आख्या से डॉक्टर को बचाने के प्रयास किये जा रहे हैं । वहीं सूत्र यह भी कह रहे हैं कि जियाउर्रहमान को एसीएम ने 19 अगस्त को साक्ष्य के साथ बुलाया था तो फिर बिना साक्ष्य देखे आखिर कैसे जांच हो गयी ?