हिंदुत्व के मुद्दे पर पहले केंद्र में प्रचंड बहुमत से सत्ता पर काबिज हुई मोदी सरकार और फिर 2017 में यूपी में सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए सरकार बनाने वाली भाजपा के राज में अब हिंदूवादी ही बेचैन हैं । देश से लेकर यूपी तक हिंदूवादी अथार्त भाजपा की सरकार है लेकिन हिंदूवादी संगठन खुद की ही सरकार में विरोध प्रदर्शन और हाथ काटने, आग लगाने की धमकी देने पर अड़े हैं । आखिर क्यों ? फिल्मों को लेकर विरोध के जरिये हिंदूवादी पब्लिसिटी स्टंट में लगे हैं या फिर फ़िल्म निर्माताओं से मिलीभगत कर उसे पब्लिसिटी दे रहे हैं यह चर्चाओं का विषय बना हुआ है ।
यूपी के अलीगढ में इन दिनों कथित हिंदूवादियों, विद्यार्थी परिषद के नेताओं द्वारा राजनेता से अभिनेता बने सुनील सिंह की फ़िल्म ‘द गेम ऑफ अयोध्या’ को लेकर प्रदर्शन किया जा रहा है । कोई हाथ काटने पर इनाम को घोषणा कर रहा है तो कोई सुनील सिंह के घर पर कालिख पोत रहा है । मीडिया भी इन खबरों को प्रमुखता से छाप रहा है । हिंदूवादियों द्वारा यह विरोध तब किया जा रहा है जब वह न तो फ़िल्म के बारे में पूरी तरह जानते हैं न देखी है । लोगो मे बिना फ़िल्म को देखे यह विरोध चर्चाओं का विषय बना हुआ है ।
बताते चलें कि केंद्र में मोदी सरकार है और सेंसर बोर्ड भी सरकार के अधीन आता है । सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म पास कर दी तो भी यह विरोध कहीं न कहीं विरोध करने वालो पर सवाल खड़े करता हैं । कुछ लोग तो इस विरोध को फ़िल्म निर्माता से हिंदूवादियों की सांठगांठ करार दे रहे हों । अब सवाल यही है कि सेंसर बोर्ड गलत है या हिंदूवादी ? इसस सवाल का जवाब सरकार को देना ही चाहिए ।
-लेखक जियाउर्रहमान , व्यवस्था दर्पण के संपादक हैं ।