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गाड़ी में आजम ने जयाप्रदा के साथ ऐसा क्या किया जो अमर सिंह उन्हें चेता रहे हैं !

  • September 3, 2018
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गाड़ी में आजम ने जयाप्रदा के साथ ऐसा क्या किया जो अमर सिंह उन्हें चेता रहे हैं !

दिल्ली| अमर सिंह व्यक्तिगत रूप से बहुत बढ़िया इंसान हैं। उनकी खासियत की बात कही जाये तो वह जितनी शिद्दत से दोस्ती निभाते हैं, उतनी ही शिद्दत से उन्हें दुश्मनी निभाते हुए भी देखा गया है। बॉलीवुड से लेकर उद्योग जगत तक में और सियासत से लेकर सामाजिक जीवन में हजारों लोग उनसे समय−समय पर उपकृत हो चुके हैं। इसमें से कई नाम सार्वजनिक हो चुके हैं तो न जाने उनसे लाभान्वित होने वाले कितने लोगों के बारे में कभी चर्चा ही नहीं छिड़ी। अमर सिंह के कई राजनेताओं, उद्योपतियों, फिल्मी कलाकारों से व्यक्तिगत संबंध थे। मुलायम सिंह, सहारा श्री, अभिताभ बच्चन, जयाप्रदा, अंबानी बंधु… काफी लम्बी लिस्ट है। वह न जाने कितने लोगों के काले−सफेद धंधों के राजदार हैं। मगर अमर सिंह ने लाख दुश्मनी के बाद भी कभी किसी के व्यक्तिगत मसलों को लेकर मुंह नहीं खोला। वह अपने चाहने वालों के साथ बुरे वक्त में ज्यादा खड़े नजर आते हैं। यही उनकी सबसे बड़ी अच्छाई है। तमाम अच्छाइयों के बीच अमर सिंह के साथ एक किवदंति और जुड़ी है कि वह अक्सर अपना चोला बदलते रहते हैं। उनकी शायद ही किसी से लम्बी दोस्ती खिंचती है। इसकी वजह से उनके ‘दुश्मनों’ की संख्या भी कम नहीं है। उन्होंने अपनी आस्तीन में कई ‘आजम’ पाल रखे हैं, जो समय−समय पर अमर को उनकी हैसियत बताने की कोशिश करते रहते हैं। इसी के चलते कभी वह भतीजे समान अखिलेश यादव से खरी खोटी सुनते हैं तो कभी राम गोपाल यादव जैसे नेता उनसे नाराज हो जाते हैं। अमर सिंह और आजम के बीच तो मानो हमेशा छत्तीस का ही आंकड़ा रहता हो। जब अमर समाजवादी पार्टी में थे, तब पार्टी की मर्यादा का ख्याल करते चुप हो जाते थे, लेकिन बाहर आते ही वह आजम को उनकी औकात दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे, तो इस तू−तू मैं−मैं में आजम खान भी कभी पीछे नहीं रहे।
सिलसिला कभी थमा नहीं। शायद इसीलिये तो कुछ समय की शांति के बाद राज्यसभा सदस्य अमर सिंह और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है। अबकी से इस चिंगारी को अमर सिंह ने भड़काया, तो आजम खान ने इसे शोला बनाने में देरी नहीं की। गत दिनों लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमर सिंह ने आरोप लगाया कि आजम उनकी हत्या कराना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आजम खान के अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से संबंध हैं। अमर ने कहा कि आजम खान, समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह के सियासी दत्तक पुत्र हैं। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा। अमर ने इस दौरान आजम को चुनौती देते हुए कहा कि 30 अगस्त को वह रामपुर आ रहे हैं।
मुलायम सिंह के जन्मदिन मनाने को लेकर आजम के कथित बयान का जिक्र करते हुए अमर ने कहा, ‘मैं बहुत बुरा आदमी हूं। मैं बहुत विवादित आदमी हूं। मैं आज यहां किसी दल की तरफ से नहीं बल्कि नाबालिग मासूम, 17 साल की दो बेटियों के बाप की हैसियत से आया हूं। नाराज अमर सिंह ने कहा कि आजम ने मुलायम सिंह का जन्मदिन मनाने के बाद सार्वजनिक बयान दिया था कि अबू सलेम और दाऊद हमारे आदर्श हैं। उन्होंने ही इस जलसे का पैसा दिया है। मीडिया से रूबरू होते हुए अमर ने कहा कि वो मेरी पत्नी को कटवाने और बेटियों पर तेजाब फिंकवाने की बात करता है। सत्ता के बल पर क्रूर अट्टहास करने वाले दैत्य हैं आप। उन्होंने कहा कि मुझे डर लगता है कि कहीं हमारी बेटियों पर तेजाब न फेंक दें। मेरी हत्या कर दीजिए, बकरीद बीते ज्यादा दिन नहीं हुआ है। मेरी कुर्बानी ले लीजिए लेकिन मेरी मासूम बच्चियों को छोड़ दीजिए। मैं आपकी बेटी−बेटे, पत्नी और परिवार के स्वस्थ और प्रसन्न रहने की दुआ करता हूं।
आजम पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि बकरीद के दिन बकरी काटी होगी। यही नहीं हिंदू जिसे पवित्र मानते हैं संभवतः आपके समर्थकों ने उसे भी काटा होगा। आपके खून की प्यास नहीं बुझी है। 30 तारीख को रामपुर आ रहा हूं आजम खान। 12 बजे वहां के पीडब्लूडी गेस्ट हाउस में रहूंगा। इसलिए नहीं कि मैं बहादुर हूं, लड़ रहा हूं। इसलिए कि मैं एक डरा हुआ बाप हूं। आप प्रदेश के नामी−गिरामी भारी बेताज शहंशाह हैं। मुलायम सिंह के सियासी दत्तक पुत्र हैं और देश का गृहमंत्री भी, प्रदेश और देश की सरकार भी आज तक आपका कुछ बिगाड़ नहीं पाई है।’
अमर ने आजम पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘आजम खान तुमने कहा कि मैं अवसरवादी हूं। हां मैं अवसरवादी हूं क्योंकि मैंने अपनी पत्नी को राज्यसभा नहीं भेजा। मैं अवसरवादी हूं क्योंकि मेरी कोई औलाद विधायक नहीं है। मैं अवसरवादी हूं क्योंकि मैंने करोड़ों−अरबों−खरबों का घोटाला करके बाप के नाम पर विश्वविद्यालय नहीं बनाया, जिसका मैं आजन्म कुलाधितपति बना हूं पिछले दरवाजे से। तुम वजीर बने, वजारत किए। तुम्हारी बेगम राज्यसभा में है, तुम्हारी औलाद विधानसभा में है, मेरे परिवार का कोई व्यक्ति दूर का संबंधी भी वहां नहीं है।’
अमर ने मीडिया से बात करते हुए समाजवादी पार्टी को भी नसीहत दी और कहा, ‘लोहिया के नाम पर नमाजवादी पार्टी के लोगों से हम कहना चाहते हैं लोहिया को पढ़ो। लोहिया ने 370 धारा के समर्थन में भारतीय जनसंघ का साथ दिया था। सदन में उनका भाषण है− एक झंडा, एक संविधान और एक देश। लोहिया के प्रचार में अटल बिहारी वाजपेयी गए थे, पंडित दीन दयाल उपाध्याय गए थे। दोनों की बैठक हुई थी। भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश का महासंघ बने यह लोहिया ने कहा था और अखंड भारत की बात दीन दयाल ने की थी। दोनों गैर कांग्रेसवाद की बात करते थे।’
इसके बाद अमर सिंह रामपुर गये और वहां भी आजम को खूब घेरा। उन्होंने आजम के कारनामों का चिट्ठा खोला तो यह भी बताया कि बंद गाड़ी में आजम ने फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा के साथ जो किया उसको लेकर जयाप्रदा अगर पुलिस के पास चली जायें तो आजम जेल चले जायेंगे। प्रेस कांफ्रेंस काफी लम्बी चली। मगर जानकार इसे इत्तेफाक नहीं सोची−समझी अमर राजनीति का हिस्सा मान रहे हैं। कहा यह जा रहा है कि अमर बीजेपी के करीब आने के बाद हिन्दुत्व के ब्रांड अम्बेसडर बनना चाहते हैं।
दरअसल, कुछ समय पूर्व योगी सरकार में सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अमर सिंह को आजमगढ़ की संसदीय सीट से टिकट का ऑफर दिया था। गत दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने भी लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान अमर सिंह का जिक्र किया था, जिसके बाद अमर सिंह के बीजेपी के करीब आने की अटकले लगने लगीं थीं। कहा यह जा रहा है कि यूपी में सपा−बसपा गठबंधन की चुनौती से निपटने के लिए एनडीए अमर सिंह के अनुभवों का इस्तेमाल करना चाहती है। पूर्व में मुलायम और अमर सिंह की निकटता पर नजर दौड़ाई जाये तो पता चलेगा कि सपा के पूर्व नेता और राज्यसभा सांसद अमर सिंह को एक दौर में मुलायम सिंह यादव का सबसे करीबी नेता माना जाता था। अमर सिंह की मर्जी के बगैर सपा में पत्ता भी नहीं हिलता था। लोकसभा और विधानसभा में टिकट से लेकर मंत्री बनाने तक का फैसला वे करते थे। नेताजी उन्हें अपना भाई बताते थे। अमर सिंह के चलते मुलायम ने राज बब्बर को पार्टी में साइडलाइन तो आजम खान को पार्टी से बाहर कर दिया था। मुलायम के दौर में वे दिल्ली में पार्टी के लिए लॉबिंग करने और मीडिया से बेहतर तालमेल बिठाने का जिम्मा उठाते थे। यही वजह थी कि वे मुलायम के आंख के तारे थे। वक्त बदला और सपा की सियासी बागडोर अखिलेश यादव के हाथों में आई तो वही अमर सिंह पार्टी की आंख में खटकने लगे। हालत ये हुई कि अखिलेश ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया और अब अमर के भगवा खेमे की तरफ से चुनाव लड़ने की बात हो रही है।
उधर, सुहेलदेव के बयान पर अमर सिंह से जब पूछा गया कि क्या वह आजमगढ़ से चुनाव लड़ेंगे, तो उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, मैं किसी एक क्षेत्र से चिपक कर नहीं रह सकता। अभी जरूरत है मोदी जी के हाथ को मजबूत किए जाने की और मैं मोदी जी के लिए काम करूंगा। अमर सिंह ने कहा मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निजी तौर पर बहुत पसंद करता हूं, उनमें गजब की नेतृत्व क्षमता है। मेरी आगे की जिंदगी उन्हीं के नाम है। वैसे ऐसी ही बातें कभी वह मुलायम सिंह के लिये भी कर चुके थे। उन्होंने कहा, अगर मुझे मायावती, ममता बनर्जी और मोदीजी में से किसी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार चुनना हो, तो मेरा वोट निश्चित तौर पर मोदी जी के साथ है।
अमर सिंह के बीजेपी से करीबी की बात सामने आते ही सियासी गलियारों में तरह−तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। कहा जा रहा है कि अमर सिंह समाजवादी पार्टी और यादव कुनबे के काफी करीबी रहे हैं। जाहिर है उनके पास कई राज भी होंगे, जो चुनाव के दौरान सियासी हमलों में एनडीए के लिए हथियार बन सकते हैं। यानि शिवपाल के फैसले के पीछे जिन लोगों का हाथ है उनमें अमर सिंह और योगी आदित्यनाथ प्रमुख हैं। अखिलेश के करीबी नेता खुलकर आरोप लगा रहे हैं कि शिवपाल तो बीजेपी के हाथ की कठपुतली बन गए हैं और अब उनके जीवन का एकमात्र ध्येय सपा−बसपा−कांग्रेस के तालमेल को तोड़ना है। यदि वे इसे तोड़ने में नाकाम रहते हैं तो इसे ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचा दें। बीजेपी के लिये यह काम अमर सिंह के साथ आने से आसान हो जायेगा।
साभार – अजय कुमार जी|