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November 22, 2024
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AMU छात्रों ने JNU हमले के खिलाफ निकाली तिरंगा यात्रा

  • January 7, 2020
  • 1 min read
AMU छात्रों ने JNU हमले के खिलाफ निकाली तिरंगा यात्रा

अलीगढ | जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार को छात्रों के साथ मारपीट की घटना के विरोध में सोमवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय परिसर में तिरंगा यात्रा निकाली गई। विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग से लेकर मुख्यद्वार बाब ए सैयद तक निकाली गई तिरंगा यात्रा में छात्रों ने दिल्ली पुलिस मुर्दाबाद, अमुवि छात्र जेएनयू के साथ हैं, हमें चाहिए आजादी के नारे भी लगाए। साथ ही कुलपति, रजिस्ट्रार और इंतजामिया के अन्य अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए गंभीर आरोप भी लगाए। इस दौरान एसएसपी आकाश कुलहरि विश्वविद्यालय परिसर पहुंचे और छात्रों से राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन लिया। उन्होंने कहा कि उनकी मांगों से राष्ट्रपति को अवगत करा दिया जाएगा।

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रविवार को जेएनयू में छात्रों के साथ मारपीट से आक्रोशित एएमयू छात्रों ने सोमवार को दोपहर बाद परिसर में तिरंगा यात्रा का आह्वान किया था। यात्रा के बाद बाब ए सैयद पर ही सभा का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने कहा कि केंद्र सरकार सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को निशाना बना रही है। जामिया मिलिया इस्लामिया और एएमयू के बाद अब जेएनयू को भी निशाना बनाया गया है। केंद्र सरकार की यह काली मंशा कभी पूरी नहीं होने दी जाएगी। सभा में छात्रों ने पाकिस्तान के ननकाना साहिब गुरुद्वारे में हुई घटना की भी कड़ी निंदा की। कहा जिन्होंने भी सिखों के खिलाफ यह काम किया है, वह मुसलमान नहीं हो सकते, क्योंकि इस्लाम में दूसरे धर्मों की इज्जत करना सिखाता है। इस अवसर पर अन्य छात्रों ने भी संबोधन किया और घटना की निंदा की।

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छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन ने कहा कि तीन केंद्रीय विश्वविद्यालयों को निशाना बनाया जा रहा है। तिरंगा यात्रा के माध्यम से जेएनयू में छात्रों के साथ मारपीट की घटना का विरोध जाहिर किया जा रहा है। साथ ही ननकाना साहिब में गुरुद्वारे पर हमला किया गया है, उसका भी विरोध किया गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मांग की गई है कि इस घटना के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। हम पूरी तरह सिख समुदाय के साथ खड़े हैं। राष्ट्रपति से मांग की गई है कि जिस तरह छह जनवरी से जामिया मिलिया इस्लामिया को खोला गया है, उसी तरह एएमयू को भी खोला जाए। केंद्र सरकार से मांग की गई है नागरिकता कानून जैसे काले कानून को वापस लिया जाए।