मुस्लिम विश्व लीग (एमडब्ल्यूएल) के एक अधिकारी ने कहा कि मुसलमानों को उस देश के कानूनों का निश्चित ही सम्मान करना चाहिए, जिसमें वे रहते हैं। अरब न्यूज़ के मुताबिक अधिकारी ने कहा, “एक मुसलमान को जहां वह रहता है, वहां के संविधान और संस्कृति का आदर जरूर करना चाहिए।” अधिकारी ने कहा, “अगर किसी देश का कानून सिर को ढंकने के लिए हिजाब की इजाजत नहीं देता तो इसके लिए कानूनी तरीके से आवेदन करना चाहिए। यदि यह आवेदन अस्वीकार होता है तो मुसलमान निवासियों के पास यह विकल्प है कि वे या तो देश के कानूनों को मानें या फिर देश को छोड़ दें।”
अधिकारी ने कहा कि यही एमडब्ल्यूएल के महासचिव शेख मुहम्मद बिल अब्दुल करीम अल-इस्सा का भी मानना है। अधिकारी ने कहा कि लेकिन यह ध्यान रहे कि उनके इस दृष्टिकोण को यह नहीं मान लेना चाहिए कि महिलाओं को हिजाब नहीं ही पहनना चाहिए। इसका अर्थ है कि इसके लिए देश की परिस्थितियों व नियमों को देखा जाना चाहिए। बता दें कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अलग अलग धर्मों के पांच जजों की पीठ ने ट्रिपल तलाक़ पर सुनवाई शुरु कर दी। सुनवाई छह दिन तक चलेगी। चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया जगदीश सिंह खेहर ने कहा है कि इस मामले पर छह दिन सुनवाई के बाद फ़ैसला सुनाया जाएगा। सुनवाई का आज पहला दिन है।
खेहर ने स्पष्ट किया है: ”हम बहुविवाह के मसले पर कोई विचार नहीं करेंगे क्योंकि इसका ट्रिपल तलाक़ और हलाला से कोई संबंध नहीं है। अगर ट्रिपल तलाक़ वैध नहीं पाया गया तो तलाक़ को असंवैधानिक माना जाएगा। कोर्ट ये भी देखेगा कि ट्रिपल तलाक़ इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है अथवा नही. अगर ये अभिन्न हिस्सा है तो तोर्ट इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा।
जिस प्रमुख याचिका पर सुनवाई हो रही है उसका टाइटल है “समानता की खोज बनाम जमियत उलेमा-ए-हिंद।” पांच जजों की पीठ में खेहर (सिख) के अलावा जस्टिस कूरियन जोसेफ (ईसाई), आरएफ़ नरिमन (पारसी), यूयू ललित (हिंदू) और अब्दुल नज़ीर (मुस्लिम) हैं।
सुनवाई के दौरान ‘ट्रिपल तलाक़, निकाह हलाला और बहुविवाह’ की संवैधानिक और क़ानूनी वैधता को चुनौती दी जाएगी। मुस्लिम महिलाओं ने अलग से पांच याचिकाएं दायर की हैं जिसमें ट्रिपल तलाक़ को असंवैधानिक बताया गया है।
अपने देश के कानून माने या देश छोड़ें मुस्लिम : मुस्लिम विश्व लीग
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