बेबाक, निष्पक्ष, निर्भीक
November 22, 2024
ब्रेकिंग न्यूज़ साहित्य

मदर्स डे पर जरूर पढ़िए ध्रुव गुप्त का आर्टिकल- पहला प्यार !

  • May 12, 2019
  • 1 min read
मदर्स डे पर जरूर पढ़िए ध्रुव गुप्त का आर्टिकल- पहला प्यार !

मां दुनिया की किसी भी भाषा का सबसे मुलायम, सबसे आत्मीय, सबसे खूबसूरत शब्द है। हमारा पहला प्यार मां होती है। हम उसकी अस्थियों, रक्त, भावनाओं और आत्मा के हिस्से हैं। जीवन का सबसे पहला स्पर्श मां का होता है। पहला चुंबन मां का। पहला आलिंगन मां का। पहली गोद मां की जो इस अजनबी दुनिया में आंख खोलने के बाद हमें सुरक्षा, कोमलता, ममता और आत्मीयता के अहसास से भर देती है। पहली भाषा मां सिखाती है। पहला शब्द जो हम बोलते हैं, वह होता है मां। कहते हैं कि ईश्वर हर जगह मौजूद नहीं रह सकता, सो उसने हर घर में अपने जैसी एक मां भेज दी। मां की गोद से उतर जाने के बाद जीवन भर हम मां की तलाश ही तो करते हैं – बहनों में, प्रेमिका में, पत्नी में, बेटियों में, कल्पनाओं में बनी स्त्री छवियों में। एक आधी-अधूरी तलाश जो कभी पूरी नहीं होती। पूरी हो भी कैसे, एक मां के जैसा कोई दूसरा होता भी तो नहीं।

https://youtu.be/dWJmk-Cqa1s

आप भाग्यशाली है अगर आपको थामने, आपकी फ़िक्र करने और अपनी हर सांस में आपके लिए दुआ मांगने वाली एक मां आपके पास मौज़ूद है। कुछ अभागे लोग मां को खो देने के बाद ही समझ पाते हैं कि उन्होंने क्या खो दिया है। मांएं तो हर उम्र में वैसी की वैसी ही होती हैं – अपनी संतानों के लिए बांहें पसारे हुए। एक उम्र के बाद अपना बचपन और मासूमियत गंवा चुके हम लोगों के लिए हर दिन मां के आगोश में समा जाना आसान नहीं होता। आज ‘मदर्स डे’ के बहाने ही सही, एक बार फिर मां के गले लगकर देखिए ! नहीं है मां तो उसकी यादों से लिपट कर रो लीजिए ! यक़ीन मानिए, ज़िंदगी का हर ज़ख्म भर जाएगा। मित्रों को ‘मातृ दिवस’ की शुभकामनाएं, एक शेर के साथ !

तेरी आग़ोश से निकले तो उम्र भर भटके
अब भी रोते हैं मगर दर्द किसे होता है !
-लेखक ध्रुव गुप्त पूर्व IPS हैं, और वरिष्ठ साहित्यकार हैैं ।