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अमरनाथ तीर्थ यात्रियों पर कल का बर्बर आतंकी हमला बेहद खौफ़नाक और दुखद है। अब निंदा और भर्त्सना की नहीं,कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंक और अलगाववाद के खिलाफ निर्णायक जंग की ज़रूरत है। क्या हमारी सरकार ऐसा कर पाएगी ? अभी कश्मीर में जो हालात हैं, उसमें तो यह मुमकिन नही दिखता। एक तरफ तो हमारे बहादुर जवान आतंकियों की क़मर तोड़ने के अभियान में लगे हैं और दूसरी तरफ आतंकियों के पोषक और समर्थक हुर्रियत के नेता सरकार द्वारा दी गई वाई और जेड सुरक्षा में घूम-घूमकर पूरी घाटी में आग लगा रहे हैं। पाकिस्तान तो सिर्फ पांच-पांच सौ देता है, देश का मानवाधिकार आयोग पत्थरबाजों को दस-दस लाख का इनाम देकर सेना और पुलिस का मनोबल तोड़ने में लगा है। क्या यह दोगला आयोग दिवंगत तीर्थ यात्रियों के लिए भी ऐसे किसी मुआवज़े की घोषणा करेगा ? सबको पता है कि घाटी में दशकों से ज़ारी आतंक को पाकिस्तान का खुला सहयोग और समर्थन है। इसके बावजूद उसे आतंकी देश घोषित करने के बजाय आपने ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्ज़ा दे रखा है और दुनिया भर से उसे आतंकी देश घोषित करने की भीख मांगते फिर रहे हैं। इसी दोगली मानसिकता से आतंक के खिलाफ़ युद्ध लड़ेंगे आप ? मैं निवेदन करूंगा अपने देशवासियों से भी कि इस हमले को इस्लामी आतंक द्वारा हिन्दू धर्म और संस्कृति पर हमले के तौर पर प्रचारित कर देश में मज़हबी द्वेष का माहौल पैदा न करें। सचमुच आतंक का कोई धर्म नहीं होता। होता तो ख़ुद को मुसलमान कहने वाले इन आतंकियों ने पिछले दो दशकों में इराक, सीरिया, अफगानिस्तान और यहां तक कि पाकिस्तान में भी लाखों मुसलमानों की हत्याएं न की होती। अभी रमज़ान के पवित्र महीने में भी इन कथित इस्लामी आतंकियों ने हज़ारों मुसलमानों को मारा है। यह एक अलग किस्म का इस्लाम पैदा हुआ है जिससे दुनिया ही नहीं, खुद इस्लाम ख़तरे में पड़ गया है। अमरनाथ की घटना को सांप्रदायिक रंग देकर आप देश का नहीं, दरिन्दे आतंकियों और वहशी पाकिस्तान के उद्धेश्य को ही पूरा करेंगे।
पाकिस्तान से भी और अलगाववादियों से भी अब बातचीत की कोई गुंजाईश नहीं बची है। समय आ गया है कि पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करें और कश्मीर के आतंकियों और अलगाववादियों पर बेरहमी से टूट पड़ें। इजराइल से और कुछ नहीं तो अपने देश और अपने देशवासियों के स्वाभिमान की रक्षा का हुनर तो सीख ही लेना चाहिए आपको ! #Anantnag
– ध्रुव गुप्त पूर्व आईपीएस के फेसबुक वाल से