Home राष्ट्रीय डीजल-पेट्रोल विरोध को लेकर भारत बंद में विपक्ष ने दिखाया दम

डीजल-पेट्रोल विरोध को लेकर भारत बंद में विपक्ष ने दिखाया दम

by vdarpan
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पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम के खिलाफ सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस ने सोमवार को भारत बंद बुलाया। इस बंद का राजद, एनसीपी, भाकपा, माकपा सहित तमाम दलों ने समर्थन किया। तृणमूल कांग्रेस आधिकारिक रूप से बंद के साथ नहीं थी, लेकिन कई स्थानों पर पार्टी कार्यकर्ता प्रदर्शन में शामिल होते नजर आए। देश के तमाम स्थानों पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिले।
राज्य के कई जिलों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। सबसे बड़ा प्रदर्शन असम सचिवालय के सामने हुआ। यहां प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड को तोड़ने की कोशिश की, जिसके बाद कांग्रेस नेता हरीश रावत सहित सैकड़ों को कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया। तेजपुर सहित कई शहरों में भी कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर टायर जलाकर यातायात बाधित करने और स्कूल बाजार बंद कराने की कोशिश की। हैलकांडी जिले के जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन कर रहे 40 लोगों को हिरासत में लिया गया। कांग्रेस के पूर्व मंत्री बिमिता गोगोई को गोलाघाट के खुमताई में हिरासत मे लिया गया। जबकि पूर्व मंत्री बसंता दास सहित 80 कार्यकर्ताओं को एहतियातन सोनितपुर जिले में पुलिस ने हिरासत में लिया।
ढ़ाई दशक के बाद सत्ता गंवाने वाली भाकपा-माकपा समर्थिक बंद का व्यापक असर त्रिपुरा में देखने को मिला। अगरतला सहित विभिन्न कसबों में व्यापार, बाजार और शिक्षण संस्थान पूरी तरह से बंद रहे। सरकारी कार्यालयों में भी उपस्थिति कम रही। अगरतला की सड़कों से अधिकतर वाहन नदारद रहे। वहीं ,तमिलनाडु में बंद का असर तिरुवरुर, पुड्डुकोटाई और मन्नारगुडी में देखने को मिला। वहीं, चेन्नई में अधिकतर इलाकों में स्थिति सामान्य रही। तूतीकोरिन और कन्याकुमारी जिलों के करीब 75 हजार मछुआरों ने बंद का समर्थन किया था। थूथुकोडी में ट्रक चालकों के एक धड़े ने बंद का समर्थन किया था। वहीं,तिरुपुर की दो हजार टेक्सटाइल कंपनियां भी बंद के समर्थन में रही। हालांकि, पूरे राज्य में स्थिति शांतिपूर्ण रही। प्रशासन ने किसी भी हालात से निपटने के लिए अकेले चेन्नई में 20 हजार अतिरिक्त जवानों की नियुक्ति की थी। पड़ोसी पुड्डुचेरी में बंद का असर परिवहन पर देखने को मिला। सरकार ने एहतियातन राज्य परिवहन के बसों का पड़ोसी राज्यों में परिचालन बंद रहा, जिससे यात्रियों को मुश्किल का सामना करना पड़ा। व्यापारियों के संगठन ने भी बंद का विरोध किया था।
सत्तारूढ़ वाम दलों और विपक्षी कांग्रेस दोनों ने राज्य में बंद का समर्थन किया था, जिसका असर सड़कों पर देखने को मिला। राज्य परिवहन की सेवाएं सोमवार को स्थगित रही। वहीं भाकपा कार्यकर्ताओं ने तिरिची में पासपोर्ट कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया। कोच्चि में भी कई बाजार बंद रहे। सड़कों पर आम दिनों के मुकाबले कम वाहन चले।
तृणमूल कांग्रेस ने साफ कर दिया था कि वह तेल की बढ़ती कीमत पर विपक्ष की चिंता के साथ है, लेकिन बंद का समर्थन नहीं करती। यही वजह रही कि पूरे राज्य के स्कूल कॉलेज और सरकारी कार्यालय खुले रहे। कर्मचारियों की उपस्थिति भी अनिवार्य कर दी गई थी। बाजार आदि पर भी अधिक असर देखने को नहीं मिला। हालांकि, वाम दलों के कार्यकर्ता कई स्थानों पर प्रदर्शन करते हुए नजर आए।

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