#AMU के सहारे BJP-RSS, जिन्ना के बाद अब ‘आरक्षण’ का आसरा
अलीगढ | गत दिनों अमुवि से निकला जिन्न ढंग से बोतल में वापिस जा भी नहीं पाया है कि अब भाजपा-आरएसएस ने अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जातिगत आरक्षण को लेकर नया महासंग्राम शुरू कर दिया है | टीबी डिबेट से लेकर प्रिंट मीडिया तक में यह मुद्दा राष्ट्रीय मुद्दे के रूप में प्रचारित किया जा सराहा है | अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अब अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के आरक्षण को लेकर महासंग्राम शुरू हो गया है। पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर खत लिखने वाले सांसद सतीश कुमार गौतम ने एक बार फिर एएमयू वीसी को खत लिखकर पूछा है कि उनके लोकसभा क्षेत्र में स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय (एएमयू) में एससी, एसटी एवं ओबीसी के छात्रों को प्रवेश में आरक्षण क्यों नहीं दिया जा रहा है। यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि एएमयू में वंचित वर्ग को आरक्षण के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अब तक क्या प्रयास किया गया है। आरक्षण का नया संग्राम खड़ा कर भाजपा 2019 की रणनीति बनाने जुट गयी है | मना यही जा रहा है कि भाजपा अमुवि के सहारे दलित-मुस्लिम गठजोड़ को खत्म कराने का प्रयास कर रही है |
मंगलवार को अलीगढ़ में इस मसले पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष राम शंकर कठेरिया भी विश्वविद्यालय के अधिकारियों से बात करने वाले हैं। चंद रोज पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एएमयू एवं जामिया मिल्लिया इस्लामिया में दलितों को आरक्षण आदि का मुद्दा उठाया था। उसके बाद से यह मामला गरमाता नजर आ रहा है। एससी, एसटी आयोग के अध्यक्ष राम शंकर कठेरिया दो बार आरक्षण एवं अल्पसंख्यक स्वरूप का मामला उठा चुके हैं। मंगलवार को वह अलीगढ़ पहुंच रहे हैं और इस मसले पर बातचीत के लिए एएमयू के अधिकारियों को बुलाया है। इसी बीच एक निजी कार्यक्रम के सिलसिले में जोधपुर गए सांसद सतीश गौतम ने ई-मेल के माध्यम से एएमयू कुलपति प्रो. तारिक मंसूर को खत लिखकर पूछा है कि एससी, एसटी एवं ओबीसी के आरक्षण के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अब तक क्या प्रयास किये गये हैं। वर्तमान में उच्चतम न्यायालय में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कौन से तर्कों के आधार पर आरक्षण को लागू करने से रोकने के प्रयास किये जा रहे हैं। वर्तमान समय में सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आरक्षण का प्रावधान है तो एएमयू में इसे लागू करने से संबंधित प्रयास क्यों नहीं किये गये। इस संबंध में विश्वविद्यालय के अधिकारी उच्चतम न्यायालय में मामला विचाराधीन होने का हवाला देकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
इस मामले पर अमुवि पीआरओ आफिस के प्रो. शाफे किदवई ने कहा है कि आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। न्यायालय का फैसला आने तक कुछ कहना उचित नहीं है। कुलपति अभी बाहर हैं। इसलिए सांसद के खत की जानकारी नहीं है। एससी, एसटी आयोग के अध्यक्ष राम शंकर कठेरिया के पास एएमयू के अधिकारी जाएंगे और यूनिवर्सिटी का पक्ष रखेंगे।