देशभर में 1000 योग्य छात्रों को “प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति” योजना के तहत 75,000 रुपये प्रतिमाह की स्कॉलरशिप दी जाएगी। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसकी जानकारी गुरुवार को जयपुर में मणिपाल यूनिवर्सिटी में आयोजित एक समारोह में दी। उन्होंने घोषणा की कि छात्रों को जल्द ही यह छात्रवृत्ती दी जाएगी। जावड़ेकर ने कहा- “हम पीएम स्कॉलरशिप” योजना शुरू करने जा रहे हैं।” इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि देशभर में एजुकेशनल स्टेंडर्ड को सुधारने के लिए सरकार ने 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही है। उन्होंने बताया कि सरकार का मकसद है 20 वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी स्थापित की जाएं जो कि दुनिया की टॉप 200 में अपनी जगह बनाएंगी।
इसके अलावा प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की शिक्षा आमूलचूल परिवर्तन के दौर से गुजर रही है और प्रधानमंत्री का ‘न्यू इंडिया’ का स्वप्न शिक्षा के जरिए ही साकार होगा। जावड़ेकर ने यह बात माकड़वाली गांव में बने स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल का लोकार्पण करने के बाद आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा ‘‘ हमारा ध्यान युवाओं को चुनौती स्वीकार करने के योग्य बनाने के साथ ही उनकी प्रतिभा निखारने पर है। र्लिनंग आउटकम नीति के बारे में भी उन्होंने बताया। शीघ्र ही सभी स्कूलों में र्लिनंग आउटकम की नीति लागू होगी। इसके तहत अभिभावकों को पता होगा कि हमारा बच्चा जिस कक्षा में है, उसमें उसकी पढ़ाई का स्तर और विभिन्न विषयों में उसकी जानकारी कितनी है। यह जानकारी हैंडबुक के जरिए शिक्षकों के पास तो होगी ही, अभिभावकों को भी पता रहेगा।’’
उन्होंने कहा कि र्लिनंग आउटकम की नीति लागू होने के बाद अभिभावकों को अपने बच्चों की शिक्षा का स्तर पता होगा। उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि प्रतिदिन अपने बच्चों से पूछें कि आज आपके शिक्षक स्कूल आए या नहीं, स्कूल में क्या पढ़ाया गया और स्कूल के बाद आपने घर पर दो घंटे अध्ययन किया या नहीं। यह ‘सोशल ऑडिट’ है जो शिक्षा को बेहतर करेगी। जावड़ेकर ने कहा कि अब देश में वह माहौल बन रहा है जब निजी स्कूलों को सरकारी स्कूलों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी। राजस्थान इसका जीता जागता उदाहरण है जहां 17 लाख बच्चों का नामांकन सरकारी स्कूलों में बढ़ा है। उन्होंने कहा कि देश में सभी अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए दूरस्थ शिक्षा के जरिए बीएड की शुरूआत की गई है। वर्ष 2019 के बाद एक भी अप्रशिक्षित शिक्षक स्कूलों में नहीं पढ़ा पायेगा। उन्होंने शिक्षा का अधिकार अधिनियम में सुधार की घोषणा करते हुए कहा कि अब कक्षा पांच और आठ में भी परीक्षाएं होंगी। केन्द्र सरकार ने दसवीं में भी वैकल्पिक बोर्ड परीक्षा की व्यवस्था पिछले साल ही समाप्त कर दी है।