अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा चीन, पूर्वी लद्दाख में बना रहा हाईवे और सड़क
नई दिल्ली। सूत्रों के मुताबिक सीमा पर चीन हथियारों के साथ अपने जवानों की संख्या भी बढ़ा रहा है। इसके लिए सीमा के पास तिब्बती युवाओं को सेना में भर्ती किया जा रहा है। इन्हें वहां सैन्य बेस में हैन टुकड़ियों के साथ तैनात भी किया जा रहा है।
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पिछले डेढ़ साल से भारत और चीन के बीच गतिरोध जारी है। एक तरफ जहां इस तनाव को कम करने को लेकर कई दौर की वार्ता हो चुकी है तो वहीं इन कोशिशों के बीच चीन लगातार अपनी नापाक हरकतों को जारी रख रहा है। सूत्रों ने अनुसार चीनी सेना पूर्वी लद्दाख में हाईवे और सड़क का निर्माण कर रही है।
बता दें कि चीन द्वारा भारतीय सीमा पर निर्माण कार्य करने की खबरें इससे पहले भी आती रही हैं। गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख को लेकर सामने आये खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि इस क्षेत्र में चीनी सेना अतिरिक्त राजमार्ग और सड़कें बनाकर अपनी सैन्य चौकियों की संख्या को और बढ़ा रही है।
दरअसल पिछले साल मई में लद्दाख में कई प्वाइंट्स पर भारतीय और चीनी सेना के बीच गतिरोध शुरू हुआ था। इस गतिरोध को खत्म करने के लिए दोनों देशों के बीच कई दौर की सैन्य वार्ता भी हुई लेकिन कुछ सुखद नतीजा नहीं निकला। चीन ने अब तक हॉट स्प्रिंग्स और डेपसांग मैदानों में कब्जे वाले क्षेत्र से हटने का कोई इरादा नहीं दिखाया है। हालांकि गलवान घाटी, पैंगोंग झील और गोगरा से उसने अपनी शर्तों पर आंशिक रूप से सहमति व्यक्त की है।
बता दें कि गलवान घाटी, पैंगोंग झील और गोगरा, इन तीन जगहों से दोनों सेनाएं समान दूरी से पीछे हट गई हैं। वहीं चीन की चालबाजियों को देखते भारत भी हुए पूरी तरह सतर्क है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक भारत की सेना ने चीन की बढ़ती आक्रामकता और गतिविधि को देखते हुए सीमा पर सैन्य क्षमता को बढ़ाया है।
वहीं पूर्वी लद्दाख के गतिवरोध वाले क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अब दोनों तरफ से लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं। वहीं भारत की तैयारियों को लेकर रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “भारतीय सेना सीमा पर 73 सड़कों का निर्माण कर रही है। एकमात्र चिंता यह है कि इस क्षेत्र में चीन के सैन्य बुनियादी ढांचे के तेजी से विस्तार की तुलना में हमारे काम की गति धीमी है। हालांकि सड़कों के निर्माण के बाद सीमा पर चौकियों पर तेजी से तैनाती और बेहतर रखरखाव हो सकेगा।”