लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भले ही 13-ए, मॉल एवेन्यू स्थित सरकारी बंगले को खाली कर दिया हो लेकिन इसे दलित नेता कांशीराम का संग्रहालय बनाने के मुद्दे पर विवाद अभी थमा नहीं है और भाजपा ने इस पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि अगर यह स्मारक था तो अभी तक इसमें आम लोगों को आने जाने की अनुमति क्यों नहीं थी? हालांकि बसपा ने कहा है कि वहां आम लोगों का आना जाना था और सुरक्षा जांच के बाद लोग वहां जा सकते थे। इस बीच, खबर है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार मायावती के बंगले के इस हिस्से को दलित संग्रहालय में तब्दील कर सकती है। माना जा रहा है कि यदि ऐसा होता है तो यह मायावती को करारा जवाब होगा।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ल ने कहा, ‘मायावती ने जिस तरह दो जून को प्रेस कांफ्रेंस के बाद पत्रकारों को घूम घूमकर अपना बंगला दिखाया, क्या उससे पहले आम लोगों का प्रवेश उस बंगले में था।’ उन्होंने कहा, ‘अगर 13— ए, मॉल एवेन्यू मान्यवर श्री कांशीराम जी यादगार विश्राम स्थल था और वहां संग्रहालय था तो वहां आम लोगों का प्रवेश क्यों नहीं होता था ? संग्रहालयों में या तो निःशुल्क या फिर टिकट लगाकर आम लोगों को प्रवेश दिया जाता है।’ उधर भाजपा के आरोप को सिरे से नकारते हुए बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने कहा कि यह कहना पूरी तरह गलत है कि कांशीराम स्मारक में आम लोगों का प्रवेश वर्जित था। वहां सुरक्षा जांच के बाद आम लोगों को प्रवेश दिया जाता था। उन्होंने फोन पर बताया, ‘वह बंगला आम लोगों के लिए खुला था। जिस हिस्से में मायावती रहती थीं, केवल वहां आम लोगों का प्रवेश नहीं था लेकिन परिसर के बाकी हिस्से में लोग आते जाते थे।’
एक सवाल के जवाब में मिश्र ने कहा कि बंगले का कब्जा सरकार को सौंप दिया गया है। मनीष शुक्ल ने मायावती के इस आरोप का खंडन किया कि कैराना लोकसभा सीट और नूरपुर विधानसभा सीट पर भाजपा को मिली पराजय से जनता का ध्यान बंटाने के लिए ये खबरें सरकार ने चलवायीं कि मायावती 13कृए, मॉल एवेन्यू बंगला खाली नहीं कर रही हैं। शुक्ल ने कहा कि कायदे से उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुरूप मायावती को बंगला तुरंत खाली कर देना चाहिए था लेकिन वह सरकारी बंगले का मोह त्याग नहीं पा रही थीं।