हॉकी स्टिक’ लेकर पंजाब के चुनावी मैदान में खेलेंगे पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह
चंडीगढ़। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस को चुनाव आयोग की ओर से चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया है। पार्टी को हॉकी स्टिक और हॉकी बॉल का चुनाव चिह्न मिला है। अब पार्टी के उम्मीदवार इस चुनाव चिह्न के साथ चुनावी मैदान में उतरेंगे। पार्टी का नाम तो पहले ही तय हो गया था और अब चुनाव चिह्न पर भी फैसला हो गया है।
Punjab: Captain Amarinder Singh’s Punjab Lok Congress party gets hockey stick and ball as the election symbol pic.twitter.com/RmKi07SxF9
— ANI (@ANI) January 10, 2022
खास बात है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को सितंबर महीने में ही कांग्रेस ने अचानक सीएम की कुर्सी से हटा दिया। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और पंजाब लोक कांग्रेस बनाकर चुनाव मैदान में उतरे हैं। इस चुनाव में कैप्टन का सियासी कद और समझ भी दांव पर लगी है। कैप्टन की पार्टी चुनाव में बीजेपी और अकाली (संयुक्त) के साथ गठजोड़ करके उतर रही है। गठबंधन का ऐलान दोनों तरफ से हो चुका है। पहले अमरिंदर ने घोषणा की थी और उसके बाद बीजेपी की तरफ से भी ऐलान कर दिया गया है। हालांकि, ये बात 10 मार्च को पता चलेगी कि कैप्टन की नई सियासी दोस्ती से उन्हें क्या हासिल होता है। वैसे वो लगातार कहते आ रहे हैं कि गठबंधन उन्हें फिर सत्ता तक पहुंचाएगा।
पंजाब विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए बीजेपी के साथ कैप्टन अमरिंदर सिंह, अरविंद केजरीवाल और अकाली प्रधान सुखबीर बादल अपनी जुगत भिड़ा रहे हैं। पंजाब के लिहाज से इस बार चुनाव में दिलचस्प स्थिति हो चुकी है क्योंकि इस बार 5 पार्टियों के बीच मुकाबला होगा। अकाली दल ने बसपा से दोस्ती कर रखी है। सुखबीर बादल ने बसपा विधायक को डिप्टी सीएम बनाने का ऐलान भी कर दिया है। कांग्रेस नवजोत सिद्धू और चरणजीत चन्नी के कंधों पर है तो आम आदमी पार्टी फ्री के पैकेज के साथ तैयार है। पहली बार किसान अकेले चुनाव मैदान में कूदने का ऐलान कर चुके हैं। सफल आंदोलन के बाद किसानों की अगुवाई प्रमुख किसान नेता बलबीर राजेवाल कर रहे हैं।
ये चुनाव क्रिकेटर रहे नवजोत सिंह सिद्धू के लिए भी परीक्षा की घड़ी है। वो पंजाब कांग्रेस के प्रधान हैं। कांग्रेस ने उन्हें पंजाब कांग्रेस सौंप दी। माना जा रहा है कि सिद्धू के कहने पर ही अमरिंदर सिंह को कुर्सी से हटाया गया। उनकी जिद पर ही डीजीपी इकबालप्रीत सहोता और एडवोकेट जनरल एपीएस देयोल को हटाया गया। उधर, ये देखना भी दिलचस्प रहेगा कि कृषि कानून वापसी के बाद बीजेपी के हाथ क्या लगा तो सफल आंदोलन चलाने वाले किसान किस मुकाम पर पहुंचे। किसान आंदोलन के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा का विरोध है। यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी का काफिला तक रोका गया।