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जावेद ने कहा कि ‘एक लेखक के रूप में संवेदनशीलता थाली में परोसकर नहीं आती। आप उन्हें किसी दुकान में जाकर नहीं खरीद सकते। इसे आप सीखते हैं और अपने अंदर विभिन्न प्रकार की किताबों और बढ़िया साहित्य को पढ़कर विकसित करते हैं, लेकिन सिर्फ साहित्य पढ़ने से आप बेहद गंभीर बन सकते हैं, अंदर से उदास हो सकते हैं, इसलिए युवा लोगों को हल्के-फुल्के, हास्य और जासूसी से भरपूर उपन्यास भी पढ़ने चाहिए।’
जावेद ने कहा कि लेखक बनने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, अंदर से जानकार व तृप्त होने पर ही लेखन किया जा सकता है। जावेद ने कैनाज जुसावाला के पहले उपन्यास ‘कॉफी डेज, शैम्पेन नाइट्स एंड अदर सीक्रेट्स’ के लोकार्पण के मौके पर यह बात कही।
उन्होंने यह भी कहा कि आजकल लोग स्मार्टफोन या गूगल पर सर्च करने में व्यस्त रहते हैं, उनके पास पढ़ने या लिखने के लिए वक्त नहीं होता, लेकिन कोई भी माध्यम पुस्तकों व साहित्य की जगह नहीं ले सकता। जावेद ने बताया कि उनके परिवार की छह पीढ़ियां लेखन से जुड़ी रही हैं और अब सातवीं पीढ़ी यानी उनके बेटे फरहान अख्तर ने अंग्रेजी में गीत लिखना शुरू कर दिया है और बेटी जोया भी कविताएं रचती हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि आजकल लोग स्मार्टफोन या गूगल पर सर्च करने में व्यस्त रहते हैं, उनके पास पढ़ने या लिखने के लिए वक्त नहीं होता, लेकिन कोई भी माध्यम पुस्तकों व साहित्य की जगह नहीं ले सकता। जावेद ने बताया कि उनके परिवार की छह पीढ़ियां लेखन से जुड़ी रही हैं और अब सातवीं पीढ़ी यानी उनके बेटे फरहान अख्तर ने अंग्रेजी में गीत लिखना शुरू कर दिया है और बेटी जोया भी कविताएं रचती हैं।