शिव जी के सामने धर्मसंकट ! मोदी को आशीर्वाद दें या राहुल को, दोनों ही जीत मांग रहे हैं
दिल्ली| अब तक के चुनावों से पहले अयोध्या में भगवान राम के मंदिर को लेकर राजनीति होती रहती थी लेकिन इस बार चुनावों से पहले भगवान शंकर को लेकर राजनीति हो रही है। सवाल उठ रहा है कि कौन बड़ा शिवभक्त है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या फिर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में माना जाता है कि एक समय वह तपस्या करने निकल गये थे और केदारनाथ के आसपास रह रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी शिव की नगरी वाराणसी से लोकसभा सांसद भी हैं यही नहीं सोमनाथ मंदिर की संचालन समिति के सदस्यों में भी वह शामिल हैं। प्रधानमंत्री को अकसर केदारनाथ मंदिर, पशुपतिनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर में रुद्राभिषेक करते हुए देखा जाता है। प्रधानमंत्री जब भी विदेश दौरे पर होते हैं तो वहां के मंदिरों में भी जाते हैं।
उधर, गुजरात विधानसभा चुनावों के समय से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मंदिरों का दौरा बढ़ा दिया है। जब उनके मंदिर दौरों पर सवाल उठाये गये तो कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि राहुल गांधी जनेऊधारी हैं और शिवभक्त हैं। कर्नाटक विधानसभा चुनावों के दौरान भी राहुल गांधी कई मंदिरों और मठों में गये थे और चुनाव प्रचार के समय जब एक बार उनका विमान अचानक कई हजार फीट नीचे आ गया था तो उन्होंने मन्नत मांगी थी कि वह कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाएंगे।
अब जब राहुल गांधी कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जा रहे हैं तो उसी समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिमस्टेक सम्मेलन में भाग लेने के लिए नेपाल की राजधानी काठमांडू में हैं। यहां वह भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर में जाकर पूजा अर्चना कर रहे हैं। वह मंदिर में बनायी गयी धर्मशाला का भी उद्घाटन करेंगे। प्रधानमंत्री अपने पिछले नेपाल दौरे के समय भी यहां आये थे और रुद्राभिषेक किया था। संयोग से उस दिन कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान चल रहा था। तब कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री पूजा का समय चुनावों को देखकर निर्धारित करते हैं। प्रधानमंत्री ने हाल ही में लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी पर कटाक्ष किया था कि आजकल बहुत शिवभक्ति की बातें कही जा रही हैं, मैं भगवान शिव से प्रार्थना करूंगा कि वह आपको इतनी शक्ति दें कि आप 2024 में भी मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकें।
इस तरह 2019 के पहले होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले यह कयास लगने शुरू हो गये हैं कि आखिर किसकी भक्ति से भगवान शिव प्रसन्न होंगे। भगवान शिव भी धर्मसंकट में हैं कि किस भक्त की सुनें क्योंकि दोनों ही 2019 में विजय होने का आशीर्वाद मांग रहे हैं।