गोरखपुर दंगा मामले में बढ़ सकती हैं योगी आदित्यनाथ की मुश्किलें
इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को समन जारी करते हुए उन्हें एक दशक पहले गोरखपुर में हुए सांप्रदायिक दंगों से जुड़े सभी दस्तावेज लाने का निर्देश दिया। इन दंगों में तत्कालीन स्थानीय सांसद और मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आरोपी के तौर पर नामजद किया गया था। गुरुवार को न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मुख्य सचिव को 11 मई को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने और आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार द्वारा दी गई मंजूरी समेत 2007 के दंगों से जुड़े सभी दस्तावेज पेश करने के अलावा एक निजी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
यह आदेश उन दंगों के संबंध में गोरखपुर के कैंट पुलिस थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर में शिकायतकर्ता परवेज परवाज और उस मामले में गवाह असद हयात द्वारा दाखिल एक याचिका पर पारित किया गया। इस याचिका में यह आशंका जताई गई है कि राज्य पुलिस की इकाई सीबीसीआईडी जो दंगों की वर्तमान में जांच कर रही है संभवत: निष्पक्ष जांच न करे इसलिए अदालत से यह जांच एक स्वतंत्र एजेन्सी को सौंपे जाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
उल्लेखनीय है कि इस मामले की पिछली सुनवाई की तारीख पर इन याचिकाकर्ताओं के वकील एसएफए नकवी ने एक उचित जांच कराने की सीबीसीआईडी की क्षमता पर संदेह जताया था। नकवी ने सीबीसीआईडी द्वारा दाखिल हलफनामे के जवाब में यह बात कही थी। सीबीसीआईडी ने अपने हलफनामे में बताया था कि राज्य सरकार ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए के तहत योगी सहित उन सभी लोगों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी जिन्हें उस एफआईआर में नामजद किया गया था। ऐसे लोगों में गोरखपुर की तत्कालीन मेयर अंजु चौधरी और स्थानीय भाजपा विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल शामिल थे।