कुम्भ का आयोजन इस्लाम से जुड़ा होता तो निश्चित रूप से आतंकियों और कोरोना जिहादियों का अड्डा होता, पढ़िए मीडिया को आईना दिखाता जियाउर्रहमान का यह आर्टिकल –
देश में एकबार फिर तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस के संक्रमण से जनजीवन अस्त व्यस्त है और यूपी, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात में तो हालात और भी ज्यादा भयाभय हैं | विशेष बात यह है कि पिछले वर्ष मरकज और जमाती को कोरोना के बढ़ने का जिम्मेदार ठहराने वाले सत्ताधारी दल और मीडिया का बड़ा ग्रुप उत्तराखंड में कुम्भ के आयोजन और उसमे लाखों की भीड़ में टूटते कोरोना गाइडलाइन के नियमो पर षड़यंत्र और जानबूझकर मौन है | उत्तराखंड में कई बड़े महंत और सरकार के मंत्री, भाजपा के नेता कोरोना की चपेट में हैं लेकिन मीडिया कुम्भ के आयोजन और उसमे उमड़ी लाखों की भीड़ पर मौन साधे हुए है |
बताते चलें कि गत वर्ष इसी माह में देशभर के मीडिया ने मरकज और जमातियों को कोरोना के लिए जिम्मेदार ठहराया था | धर्म विशेष को टारगेट कर देशभर में मारपीट की घटनाएं हुईं थी, कई जगह तो जमातियों को देशद्रोह तक की धाराओं में जेल में डाल दिया गया था | समुदाय विशेष के लोगों को कई जगह से प्रताड़ित करने की खबरें सामने आईं थी लेकिन इस वर्ष एकबार फिर तेजी से कोरोना कहर बरपा रहा है लेकिन मीडिया मौन हैं |
बंगाल, असम, केरल, तामिलनाडु और पुंडुचेरी में चुनाव के दौरान कोरोना के नियमो की जमकर धज्जियाँ उडी लेकिन मीडिया और सत्ता मौन रही | अब देशभर से हरिद्वार के कुम्भ में लाखों श्रद्धालु उमड़ रहे हैं और तेजी से कोरोना के मामले भी सामने आ रहे हैं लेकिन सरकार धार्मिक आस्था के सामने बेबस नजर आ रही है | मीडिया का बड़ा ग्रुप जो गत वर्ष मरकज और जमाती को कोरोना जिहादी और आतंकी बता रहा था वही अब कुम्भ के आयोजन पर मुंह में दही जमाये हुए है | न आयोजकों पर कोई रिपोर्ट दर्ज की गयी है और न ही किसी तरह की कार्यवाही हुई है जिससे मीडिया और सत्ता की दौगली नीति जगजाहिर है | सवाल यह है कि अगर हरिद्वार कुम्भ का आयोजन मुस्लिम समुदाय से जुड़ा होता तो क्या सरकार और मीडिया इसी तरह मौन रहता ? मेरा मानना है कि अगर कुम्भ का आयोजन इस्लाम और मुस्लिम समुदाय से जुड़ा होता तो निश्चित रूप से सत्ता की डुगडुगी बजाने में अव्वल रहने वाले मीडिया और भाजपा के आईटी सेल की नजर में आतंकियों का अड्डा और कोरोना जिहादियों का अड्डा होता | इतना ही नहीं देशद्रोही साबित कर जेल में डाल दिए गए होते |
खैर, भारत में तेजी से बढ़ता धार्मिक भेदभाव और सियासत में धर्म के खेल ने कोरोना के कहर को दोबारा से लोगों में फैला दिया है और देशभर के कई राज्यों में अस्पतालों में बैड कम पड़ गए हैं, शमशान घाटों में लाइन लगी हुई है और केंद्र सरकार बेबस बन तमाशा देख रही है | डर सिर्फ यही है कि अगर गाँव तक यह लहर फैली तो फिर देश में शमशान कम पड़ जायेंगे और कोरोना को रोकना मुश्किल होगा | आमजन को खुद से जागना होगा और सरकार के भरोसे न रहकर स्वंय के स्तर से कोरोना से बचाव के उपाय करने होंगे और गाइडलाइन का पालन करना होगा | क्योंकि अगर एक चूक हुई तो फिर जीवन से हाथ धोना पड़ सकता है | इसलिए सुरक्षित रहिये और घर रहिये, मास्क का प्रयोग हमेशा करिये..
-लेखक जियाउर्रहमान, व्यवस्था दर्पण के संपादक हैं |