हरियाणा कांग्रेस में शह-मात का खेल शुरू, गुलाम नबी के ऐतराज पर तंवर का दिल्ली में पलटवार
चंडीगढ़ । राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद भले ही कांग्रेस में सुधार की बात चल रही हो लेकिन अभी हकीकत में बदलाव की बयार कोसों दूर दिखाई देती है । हरियाणा में तो कांग्रेस संगठन में आपसी कलह सबके सामने है । हरियाणा कांग्रेस में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शह और मात का खेल शुरू हो गया है। इलेक्शन प्लानिंग एंड मैनेजमेंट कमेटी को एआईसीसी से नामंजूर कराकर विरोधी धड़े ने जहां प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर को झटका दिया तो तंवर ने भी अगले ही दिन हिम्मत दिखाते हुए पलटवार किया। उन्होंने न केवल कमेटी का नाम बदलकर चुनाव समन्वय और प्रबंधन ग्रुप कर दिया, बल्कि उसकी पहली बैठक भी दिल्ली के कंस्टीटयूशन क्लब में कर डाली।
इसमें तंवर के अलावा ग्रुप के संयोजक सुदेश अग्रवाल और उनके समर्थक नेता ही मौजूद रहे। प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद के कमेटी को अमान्य करार देने के बाद तंवर के इस कदम को बोल्ड स्टैप माना जा रहा है। चूंकि, एआईसीसी स्तर पर कांग्रेस में चल रहे अस्थिरता के माहौल के बावजूद तंवर बैठक के बाद कड़े रुख में दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में राजनीतिक डैडलॉक की स्थिति बन गई है। पूरे देश की तुलना में हरियाणा में कांग्रेस अलग ही हालात में है। लोकसभा चुनाव से पहले एआईसीसी की ओर से बनाई गई समन्वय समिति का क्या हुआ। एआईसीसी को उनकी बनाई कमेटी के नाम पर ऐतराज था, जिसका संज्ञान लेते हुए उन्होंने नाम बदल दिया है।
प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ता के सामने विचित्र स्थिति बन गई है, वे काम करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें दिशा नहीं मिल रही। इसलिए सुदेश अग्रवाल के संयोजन में ग्रुप का गठन किया है। किसान, गरीब, मजदूर समेत हर वर्ग से रायशुमारी कर विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारी की जाएगी। चुनाव में कम समय बचा है, इसलिए ग्रुप का मकसद पार्टी संगठन को मजबूत करना है।
इसे राजनीतिक तौर पर देखने के बजाय सभी नेता सहयोग करें। वह पूरे मामले में एआईसीसी पदाधिकारियों व राज्य प्रभारी से मुलाकात कर अपना पक्ष रखेंगे। सुदेश अग्रवाल ने कहा कि कमेटी को ग्रुप बनाने से यह एआईसीसी के संविधान के दायरे में नहीं आएगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष इसका गठन कर सकते हैं।