सिरदर्द : जानें कारण और इनसे बचने के ये कुछ खास उपाय-
उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में 7.2 अरब से ज्यादा लोग जिंदगी में कभी न कभी सिरदर्द की परेशानी का सामना करते हैं। दुनिया की आधी वयस्क आबादी साल में कम से कम एक बार सिरदर्द का सामना करती है। हर बार यह गंभीर नहीं होता, लेकिन सिरदर्द की अनदेखी भी नहीं की जानी चाहिए।
सिरदर्द की बीमारी पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की फैक्ट शीट कहती है, “सिरदर्द, जो बार-बार आता रहता है, निजी व सामाजिक जिम्मेदारी के साथ-साथ दर्द, असमर्थता, बिखरी हुई जिंदगी, वित्तीय नुकसान की वजह बनता है। दुनियाभर में बहुत कम ही लोग सिरदर्द की बीमारी का किसी डॉक्टर से उचित पहचान कराकर इलाज कराते हैं. पूरी दुनिया में सिरदर्द को बहुत हल्के में लिया जाता है और इसकी पहचान, इलाज भी कम ही कराया जाता है।” निश्चित तौर पर सारे सिरदर्द एक तरह के नहीं होते. सिरदर्द के प्रकार और प्रसार पर एक नजरः
प्राथमिक सिरदर्द (प्राइमरी हैडेक)
किसी अन्य कारण के बगैर-जैसे हाइपरटेंशन या गर्भाधान-के बगैर होने वाले सिरदर्द को प्राथमिक सिरदर्द की श्रेणी में रखा जाता है। डॉक्टरों को आज भी प्राथमिक सिरदर्द की मुख्य वजह पता नहीं है, लेकिन वह मानते हैं कि ऐसा दिमाग में विभिन्न रसायनों की गतिविधियों से होता है, दिमाग की नसें और रक्त नलिकाएं दर्द का संकेत भेजती हैं। सिरदर्द की वजह बनने वाले शरीर के अन्य भाग हैं-खोपड़ी, साइनस, दांत, मांसपेशियां व गर्दन के जोड़।
माइग्रेन
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिसीज सर्वेक्षण 2010 के मुताबिक दुनिया में माइग्रेन, किसी व्यक्ति के असहाय स्थिति में साल बर्बाद कर देने के मामले में छठे क्रमांक पर है। वैसे सिरदर्द कुल मिलाकर ऐसे मामलों में तीसरा सबसे बड़ा कारण है। माइग्रेन में सामान्यतया दिमाग का एक ही भाग प्रभावित होता है। यह दर्द पीड़ित को असहाय बना देता है। दर्द चार घंटे तक और तकरीबन तीन दिन तक कायम रहता है। यह दर्द पीड़ित के हलचल करने पर बढ़ जाता है और यह दर्द ज्यादा शोर और रोशनी से भी होता है। माइग्रेन पीड़ित को दर्द चरम स्थिति में होने पर मतली का अहसास होता है और कुछ मर्तबा तो उन्हें उल्टी भी हो सकती है।
आम सोच के विपरीत माइग्रेन के केवल 20 प्रतिशत रोगियों को ही ‘ऑरा’ का अहसास होता है, जिसमें आंखों के सामने चौंधियाने वाली रोशनी, तारों जैसी झिलमिलाहट दिखती है। इसमें ऐसा भी लगता है मानो आपको किसी ने जकड़ लिया है। उसके बाद माइग्रेन का दर्द चरम पर पहुंच जाता है।अगर बीमारी कायम रहती है तो माइग्रेन के दर्द का इलाज सुमाट्रिप्टेन या जोल्मिट्रिप्टे जैसे दर्दनिवारकों से किया जाता है।
तनाव वाला सिरदर्द
इस किस्म के सिरदर्द में पीड़ित पूरे माथे पर दर्द महसूस करता है। यह दर्द आमतौर पर कई दिनों तक रहता है। तनाव के कारण होने वाले सिरदर्द पीड़ित को पूरे वक्त बैचेनी और थकान का अहसास कराते हैं, लेकिन आमतौर पर इसे प्रेशर हैडेक्स भी कहा जाता है। यह गर्दन, पीठ की मांसपेशियों, खोपड़ी में खिंचाव, थकान, गलत मुद्रा में सो जाने की वजह से बढ़ सकता है। कई बार आंखों में परेशानी भी सिरदर्द की वजह हो सकती है। आमतौर पर आसानी से उपलब्ध दर्दनिवारक एस्पिरिन से इसका इलाज किया जाता है।
गैरी डब्ल्यू. जे द्वारा संपादित क्लिनिशियंस गाइड टू क्रोनिक हैडेक्स एंड फेसियल पेन के मुताबिक पूरी जिंदगी में महिलाओं और पुरुषों में तनाव से होने वाले सिरदर्द के लौटने की आशंका क्रमशः 88% और 69% होती है।
क्लस्टर हैडेक
सिरदर्द का यह प्रकार बहुत गंभीर होता है। इसे आत्मघाती सिरदर्द (सुसाइडल हैडेक) तक कहा जाता है। इसमें दर्द अधिकांशतया असहनीय होता है। मरीज को एक ही दिन में ऐसे सिरदर्द का 8 बार तक सामना करना पड़ सकता है। यह दर्द दिमाग के केवल एक ओर होता है। जिस हिस्से में दर्द हो अधिकांशतया उस तरफ की आंख लाल हो जाती है और पानी भी निकलने लगता है।
क्लस्टर हैडेक्स लहरों की तरह आता-जाता रहता है और 30 से 60 मिनट तक बना रहता है. इस अवधि में मरीज बैचेन हो जाता है और एक जगह पर ठीक से बैठ तक नहीं पाता।
दिमाग को ऑक्सीजन की आपूर्ति जरूर कुछ राहत देती है। सुमाट्रिपेन जैसी दवाएं भी इंजेक्शन के रूप में दिए जाने पर मददगार होती हैं। क्लस्टर हैडेक रोकने के लिए सबसे प्रभावी दवा वेरापार्निल है जो एक कैल्शियम चैनल ब्लॉकर है।
सैकंडरी हैडेक
किसी बीमारी जैसे संक्रमण, मानसिक रोग, हाई ब्लडप्रेशर, सिर में चोट, लकवा (स्ट्रोक) या ट्यूमर के कारण होने वाले सिरदर्द को सैकंडरी हैडेक की श्रेणी में रखा जाता है। मूल बीमारी पर नियंत्रण आमतौर पर इस किस्म के सिरदर्द को बड़े पैमाने पर काबू में रखने में मददगार साबित होता है।