सोची समझी साजिश है नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताना ! पढ़िए जियाउर्रहमान का यह आर्टिकल-
लोकसभा में भाजपा की भोपाल से सांसद और मालेगाव ब्लास्ट में आतंक की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने नाथूराम गोडसे को देशभक्त बता दिया तो देशभर में हैरानी है, क्यों ? क्या देश भूल गया कि लोकसभा चुनाव में ठीक पहले भी साध्वी प्रज्ञा ने बयान दिया था कि नाथूराम गोडसे देशभक्त है, था और रहेगा | इस बयान के बाद भी भोपाल की जनता ने उन्हें सांसद चुना और लाखों वोटों से जिताकर संसद भेजा | प्रज्ञा ठाकुर ने शहीद हेमंत करकरे की शहादत का मजाक बनाया और कहा कि उसके सूतक से ही हेमंत मरा ! इन सब बयानों पर भी देश चुप रहा | इतना ही नहीं एक विचारधारा विशेष के लोगों ने प्रज्ञा का खुलकर समर्थन किया |
देशभर में गाँधीवादी लोगों और विपक्षी पार्टियों के निशाने पर आने के बाद पीएम मोदी ने खुद कहा कि वह नाथूराम पर दिए बयान को लेकर प्रज्ञा को कभी मन से माफ़ नहीं करेंगे लेकिन इसके बाद भी प्रज्ञा अनर्गल बयान दिए जा रही हैं | अब लोकसभा में गाँधी के हत्या का महिमामंडन और उसे देशभक्त कहना कोई नई बात नहीं हैं | प्रज्ञा ने वही कहा है जिसके लिए जनता से उसे चुना है ! हाँ, गाँधी प्रेम का ढोंग कर रही भाजपा अभी तक नाथूराम गोडसे पर प्रज्ञा के बयान पर स्थिति स्पष्ट नहीं कर सकी है | आखिर क्यों ?
हिन्दुस्तान की आजादी के महानायक रहे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के हत्यारे का महिमामंडन अतिश्योक्ति नहीं है बल्कि देश की जनता की राजनैतिक मूर्खतापूर्ण सोच का परिणाम है | आजादी के आंदोलन में जिनका कोई योगदान नहीं हैं उनका चयन और उन्हें दिल्ली की सत्ता पर बिठा देना इसका उदाहरण है | अभी 70 वर्ष पहले की ही बात तो है जब हजारों-लाखों ने जनता की आजादी के लिए आजाद कराया लेकिन उन्हें क्या पता था कि यही जनता आगे चलकर गाँधी के हत्यारों का निर्वाचन कर उन्हें सत्ता सौंपेगी | लोकसभा में नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताना कोई अचानक घटी घटना नहीं है बल्कि सोची समझी साजिश है | जनता को तय करना होगा कि गाँधी का हिन्दुस्तान चाहिए या फिर नाथूराम गोडसे का हिन्दुस्तान ?
देश के आमजनमानस के सामने वक़्त है अभी भी जाग जाये, नाथूराम की सोच के लोगों का विरोध करे, उनका बहिष्कार करे अन्यथा पुन: बर्बादी के रस्ते पर जाने के लिए तैयार रहना चाहिए |
–लेखक जियाउर्रहमान एडवोकेट, व्यवस्था दर्पण के संपादक हैं |