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September 8, 2024
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पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या से देश में आक्रोश, दिल्ली में प्रेसक्लब पर विरोध 3 बजे

  • September 6, 2017
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पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या से देश में आक्रोश, दिल्ली में प्रेसक्लब पर विरोध 3 बजे

गलुरु/बंगलौर । देश में पत्रकार गौरी शंकर की हत्या के बाद से पत्रकारिता जगत और लोगो में भारी आक्रोश है | नई दिल्ली के प्रेस क्लब पर देश्भर के कई बड़े पत्रकार आज दोपहर 3 बजे ह्त्या के विरोध में  जुट रहे हैं |  गलुरु शहर की एक वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की राज राजेश्वरी नगर स्थित उनके घर गोली मारकर हत्या कर दी गई। बेंगलुरु पुलिस आयुक्त ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि 4 अज्ञात हमलावरों ने गौरी लंकेश के घर मेंं घुसकर इस घटना को अंजाम दिया है और पुलिस सघनता से उनकी तलाश कर रही है। मिली जानकारी के मुताबिक अज्ञात हमलावरों ने उन्हें काफी नजदीक से 3 गोलियां मारी जिससे उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया। घटना ने देश को झझकोर कर रख दिया है |

आपको बता दें कि गौरी लंकेश कन्नड़ के साप्ताहिक अखबार ‘लंकेश पत्रिका’ की संपादक थी। इसके साथ ही वो अखबारों में कॉलम भी लिखती थीं और टीवी न्यूज चैनल डिबेट्स में भी वो एक्टिविस्ट के तौर पर शामिल होती थीं। उन्हें एक निडर, स्वत्रंत और मुखर पत्रकार के रूप में पहचाना जाता था। गौरी लंकेश की हत्या का तरीका ठीक वैसा ही माना जा रहा है जैसा 2 साल पहले तर्कवादी एमएम कलबुर्गी की हत्या की गई थी। कलबुर्गी पर भी उनके घर के बाहर अज्ञात बदमाशों ने काफी नजदीक से गोली मारी थी। गौरी लंकेश के दक्षिणपंथी संगठनों से वैचारिक मतभेद थे। पुलिस ने फिलहाल सभी बिन्दुओं पर जांच शुरू कर दी है। पिछले साल सांसद प्रह्लाद जोशी की तरफ से दायर मानहानि के एक मामले में वे दोषी करार दी गई थी। दरअसल गौरी शंकर ने भाजपा नेताओं के खिलाफ एक खबर लिखी थी जिस पर जोशी ने आपत्ति लेते हुए मानहानि का ये मामला दायर किया था।

कई नामी लोगों की हत्याएं हुईं- 
गौरी लंकेश की जिस तरह से हत्या हुई ठीक उसी तरह 2 साल पहले धारवाड़ में साहित्यकार एमएम कलबुर्गी की उनके घर पर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में दो लोगों पर आरोपी बनाया गया था। इसी तरह सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद पनसारे की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घटना में उनकी पत्नी को भी निशाना बनाया था। इस मामले में दक्षिण विचारधारा से जुड़े कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले साल पहले 2013 में पुणे में नरेंद्र दाभोलकर को भी गोलियों से छलनी किया गया था। अंधविश्वास और कुप्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाने वाले डॉ. दाभोलकर सनातन संस्था और अन्य दक्षिणपंथियों के निशाने पर रहते थे।