खेल कोई भी हो, खेल ही तो होता है। लेकिन खेल अगर भारत और पाकिस्तान के बीच का क्रिकेट मैच हो तो वह सिर्फ खेल नहीं होता। तब दोनों टीमें प्रतिद्वंदी नहीं रह जातीं, दुश्मनों में तब्दील कर दी जाती हैं। हमारे देश में इन मैचों के साथ भारत विभाजन की कड़वी यादें, दोनों देशों के बीच के कई युद्धों का उन्माद, सीमा पर वर्तमान छद्म युद्ध और आतंक की कडवाहट भी जुड़ जाती है। इसी तरह पाकिस्तान के लोग भारत के हाथों अपनी तीन-तीन पराजयों और पाकिस्तान के विभाजन का बदला युद्ध में तो ले नहीं सकते, अपने क्रिकेट खिलाड़ियों के हाथों किसी भी हालत में भारत को हारते देखना चाहते हैं। भारतपाक के बीच कल के चैम्पियन ट्राफी मैच के पहले एक बार फिर उन्माद चरम पर है। दोनों देशों की इलेक्ट्रोनिक मीडिया अगर इस पागलपन को हवा दे रही है तो यह अकारण नहीं है। इसी पागलपन से उनकी टी.आर.पी और विज्ञापनों के दर तय होंगे। इसी उन्माद में क्रिकेट की अथाह कमाई का राज़ छुपा है। यही उन्माद तय करेगा कि इस मैच का प्रसारण करने वाले चैनल की कमाई क्या होने वाली है। इसी उन्माद पर दुबई, भारत और पाकिस्तान का अरबों-खरबों का सट्टा बाज़ार टिका है। क्रिकेट का खेल भले बाज़ार है, लेकिन अनजाने ही इस बाज़ार के हाथ में खेलने वाले हम जैसे मासूम लोगों की भावनाएं तो एकदम असली हैं ।
तो चलिए कल क्रिकेट के मज़े लेते हैं ! यह जानते हुए भी कि अनिश्चितताओं के इस खेल में किसी दिन कोई भी टीम जीत-हार सकती है, हम भारत की जीत के लिए दुआएं तो करेंगे ही !
– ध्रुव गुप्त पूर्व आईपीएस के फेसबुक वाल से