देश में राजनीति को स्वच्छ करने निकलने आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर उन्ही की कैबिनेट से निष्कासित किये गए मंत्री कपिल मिश्रा द्वारा लगाये जा रहे भ्रष्टाचार के आरोप देशभर में चर्चाओं में हैं | जिन राजनैतिक दलों के बड़े बड़े नेता बड़े बड़े घोटालों में दोषी तक पाए गए हैं वही दल आजकल आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल से इस्तीफ़ा मांग रहे हैं | राजनीति नमे नैतिकता और सुचिता की बात करने वाले यह दल खुद के गिरेबान में झाँकने से बच रहे हैं |
दरअसल अरविंद केजरीवाल देश के राजनैतिक दलों के लिए आईना बनते जा रहे हैं | पंजाब और गोवा में पहली ही बार में ठीक ठाक जनसमर्थन मिलना और गुजरात के चुनाव में भी भारी जनसमर्थन मिलने की उम्मीद ने उन्हें राजनैतिक दलों का दुश्मन बना दिया है | दिल्ली में जबसे केजरीवाल की सरकार बनी है तबसे बुनियादी समस्याएँ काफी कम हुई हैं | बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आप के प्रयास सराहनीय हैं | हालांकि दिल्ली पुलिस सरकार के अधीन न होने के चलते सब बेकार सा लगता है क्योंकि सरकार की छवि पुलिस से ही बनाई जाती है | इन सबके बाद भी केजरीवाल हिम्मत कर व्यवस्था के खिलाफ खड़े हुए हैं यही वो कारण है जिसके चलते वो निशाने पर हैं |
केजरीवाल द्वारा कपिल मिश्रा को जैसे ही कैबिनेट से बाहर निकाला गया, कपिल मिश्रा ने बिना किसी ठोस सबूत के केजरीवाल पर भ्रष्टाचार का बम फोड़ दिया | पहले से ही जनता की नजरो में बिकाऊ हो चले मीडिया ने भी उसे देशभर में प्रचारित और प्रसारित किया | लेकिन सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री और अन्य किसी भाजपा के मुख्यमंत्री पर ऐसे ही आरोप लगाये जाने पर मीडिया इसी तरह चर्चा और बहस करेगा ? क्या बिना किसी ठोस सबूत के किसी भी प्रतिष्ठित व्यक्ति पर आरोप लगाने से वो मीडिया की सुर्खियाँ बनेगा ?
कपिल मिश्रा द्वारा लगाये गए आरोप और मीडिया की भूमिका ने यह तो स्पष्ट कर दिया है कि आरोप केजरीवाल की छवि को देशभर में धूमिल करने के प्रयास भर हैं | केजरीवाल ईमानदार ही नहीं 100 प्रतिशत ईमानदार हैं यह बात उनके विरोधियो के बयानों से ही स्पष्ट हो जाती है |
अब देश के आमजन को तय करना है कि वो व्यवस्था को परिवर्तित करने निकले इंसान पर भरोसा करता है या फिर पल पल रंग बदलते मीडिया की खबरों और बिना किसी सबूत के आरोप लगाने वाले मिश्रा पर !
–जियाउर्रहमान ( सम्पादक व्यवस्था दर्पण )