वैसे दुनिया में सेक्स को लेकर तमाम तरह की विधि मौजूद है लेकिन कई बार नए नए तरीके के सामने आते हैं | अब तांत्रिक सेक्स लोगो में चर्चा का विषय बना हुआ है | तांत्रिक सेक्स का 1960 के दशक में ज्यादा प्रसार हुआ। भारत में करीब 6 हज़ार साल पहले सेक्स की यह विधि संज्ञान में आई थी। यह सेक्स आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता था। उस समय प्राचीन हिंदू और बुद्ध ध्यानयोगियों द्वारा तांत्रिक सेक्स सिखाया जाता था। एशिया में यह आध्यात्मिक महत्व के लिए किया जाता था, वहीं पश्चिमी देशों में तांत्रिक सेक्स की यह विधा आसन के लिए मशहूर थी। तांत्रिक सेक्स को ऑर्गेज्म के लिए जाना जाता है। तांत्रिक सेक्स कर रहा कपल ज्यादा समय तक बिना चरम पर पहुंचे ही कामोन्माद का अनुभव करते हैं। इसमें सामान्य कामोन्माद प्राप्त किए बिना एक प्रकार के विशेष कामोन्माद की अनुभूति होती है।
सेक्स की इस विधा में नतीजे से ज्यादा प्रक्रिया महत्व रखती है। यह उतना आसान नहीं है जितना लगता है क्योंकि अकसर अंतरंगता के इन पलों में लोग थोड़ी झिझक और शर्म महसूस करते हैं | लेकिन कोशिश करेंगें तो आप भी इसमें सहज महसूस करेंगें।
यह हैं तांत्रिक सेक्स के तरीके-
ये सेक्स करने के लिए अपने पार्टनर के सबसे करीब बैठें। फीमेल पार्टनर अपने दोनों पैर अपने पुरुष पार्टनर की कमर में डालकर उन्हें पकड़कर बैठे जिससे वह उनके करीब रहे। इसके बाद अपने पार्टनर की आंखों में देखें और एक-दूसरे में खो जाएं। ये पल आपको काफी सुकून देता है। यह चरण इतना रूहानी होता है कि जब आप किसी के इतने करीब हों कि दो लोगों की सांसे एक लय में चलने लगें दोनों को एक-दूसरे का स्पर्श इतना सुकून दे कि दोनों उस अहसास से बाहर ही न निकल पाएं तो चरम से भी अधिक सुख मिलता है। ये सेक्स एक ऐसी प्रक्रिया है जो दिनभर की थकान को खतम कर शरीर और मन को एक नई ऊर्जा से भर देती है।