विपक्ष की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मीरा कुमार आज भरेंगी पर्चा। इससे पहले वह सुबह राजघाट पहुंची। इससे पहले मीरा कुमार ने हैरानी जताते हुए कहा था कि आखिर, राष्ट्रपति चुनाव में जाति को क्यों मुद्दा बनाया जा रहा है। उन्होंने निराशा जताते हुए कहा कि पहली बार देश के सर्वोच्च कार्यालय के लिए जाति को मुद्दा बनाया जा रहा है। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने एक बार फिर कहा था कि वह सामाजिक न्याय के मूल्यों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, समावेशीकरण तथा जाति व्यवस्था के उन्मूलन के लिए लड़ेंगी। भाजपा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद की तरह मीरा कुमार भी चार सेट में परचा भरने की तैयारी कर रही हैं। मीरा कुमार के लिए कांग्रेस ने विपक्षी दलों से जो समर्थन मांगा था, वह लिखित रूप से मिल गया है। 17 दलों के समर्थन का पत्र उनके लिए कांग्रेस को मिला है। नामांकन भरने के बाद वह 30 जून को महात्मा गांधी के गुजरात स्थित साबरमती आश्रम से अपना प्रचार अभियान शुरू करेंगी।
कौन हैं मीरा कुमार: वह बड़े दलित नेता और भूतपूर्व रक्षा मंत्री जगजीवन राम की बेटी हैं। वो विदेश सेवा की अधिकारी भी रह चुकी हैं। बिहार के सासाराम से जीतने वालीं मीरा कुमार 15वीं लोकसभा की अध्यक्ष रह चुकी हैं। उन्हें देश की पहली महिला स्पीकर होने का गौरव हासिल है। उनका जन्म बिहार के भोजपुर जिले में हुआ है। मीरा कॉन्वेन्ट से पढ़ीं हैं। उनकी शिक्षा देहरादून, जयपुर और दिल्ली में हुई है। उन्होंने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज और मिरांडा हाउस से एमए और एलएलबी किया है। साल 1970 में उनका चयन भारतीय विदेश सेवा के लिए हुआ। इसके बाद उन्होंने कई देशों में अपनी सेवाएं दी। वो यूपीए-1 की मनमोहन सिंह सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रह चुकी हैं। वो 8वीं, 11वीं, 12वीं, 14वीं और 15वीं लोकसभा की सदस्य रह चुकी हैं।