नई दिल्ली। मोदी सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर कांग्रेस ने भले ही जुबानी जंग तेज कर दी हो लेकिन वह 2014 में लगे ‘मोदी ग्रहण’ से उबर नहीं पा रही है तथा उसके हाथ से एक के बाद एक राज्य खिसकते जा रहे हैं और फिलहाल इस पर विराम लगने की संभावना नहीं नजर आ रही है। तीन वर्ष पहले राष्ट्रीय राजनीति में नरेंद्र मोदी के पदार्पण के बाद से चुनावी जंग में कांग्रेस के पतन का जो सिलसिला शुरु हुआ वह अनवरत जारी है तथा देश में जो माहौल है उससे नहीं लगता कि इस पर जल्द विराम लगने वाला है। कांग्रेस को भी इसका अहसास होने लगा है इसीलिये वह एकला चलो की अपनी पुरानी रणनीति को छोड़कर राज्यों तथा राष्ट्रीय स्तर पर गैर भाजपा दलों से हाथ मिलाने के प्रयासों में जुट गयी है। देश पर साठ वर्ष से अधिक समय तक शासन करने वाली कांग्रेस को पिछले लोकसभा चुनाव में ऐसा मोदी ग्रहण लगा कि एक के बाद एक चुनाव में उसे शिकस्त मिल रही है और वह सिमटती जा रही है।
आम चुनाव में वह 543 में से सिर्फ 44 सीटें ही जीत पायी थी जिसके कारण उसे विपक्ष के नेता का पद भी नहीं मिल सका। वह पिछले तीन वर्ष में सिर्फ एक राज्य पंजाब में सत्ता हासिल कर सकी है लेकिन उसके साथ हुये उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनावों में करारी हार तथा मणिपुर और गोवा में बड़ा दल होने के बावजूद सरकार नहीं बना सकने के झटके के चलते वह इस जीत का जश्न तक नहीं मना सकी। दिल्ली में लगातार 15 वर्ष तक शासन करने वाली देश की सबसे पुरानी पार्टी का यहां से आज एक भी सांसद या विधायक नहीं है।
मोदी ग्रहण से नहीं उभर पा रही कांग्रेस
18