हैदराबाद में सिर्फ 8500 वोट और मिलते तो नंबर वन पार्टी बन जाती BJP, ओवैसी को भी हुआ फायदा
नई दिल्ली | हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए दूसरे स्थान पर कब्जा जमाया। तेलंगाना राष्ट्र समिति यानी टीआरएस के लिए यह चुनाव काफी खराब नतीजे लेकर आया। नतीजों में बीजेपी भले ही दूसरे नंबर पर आई, लेकिन वोट शेयर ने टीआरएस के माथे पर जरूर चिंता की लकीरें खींच दी होगी।
चुनाव परिणाम के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो भगवा पार्टी, टीआरएस से महज 0.25 प्रतिशत वोट पीछे खड़ी है। अगर बीजेपी उम्मीदवारों को सिर्फ 8500 वोट और मिलते तो, बीजेपी हैदराबाद की नंबर वन पार्टी बन जाती। बीजेपी का वोट शेयर 2016 के नगर निगम चुनाव में महज 10.34 प्रतिशत था, जो 2020 में बढ़कर 34.56 प्रतिशत पर पहुंच गया। यही कारण है कि बीजेपी चार सीटों से छलांग लगातर 48 तक पहुंच गई। 2016 के नगर निगम चुनाव में टीआरएस के खाते में कुल 14,68,618 मत पड़े थे। इस चुनाव में यह आंकड़ा घटकर 12,04,167 वोटों पर रह गया। बीजेपी की बात करें तो 2016 में उसे महज 3,46,253 मतादातों का समर्थन मिला था, लेकिन इसबार हैदराबाद की जनता ने भगवा पार्टी पर जमकर समर्थन लुटाए। इस चुनाव में 11,95,711 वोट मिले।
बीजेपी ने हालांकि सभी पार्टियों के वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब रही, लेकिन इस चुनाव में उसने अपने पुराने सहयोगी टीडीपी को काफी नुकसान पहुंचाया। हैदराबाद नगर निगम चुनाव में टीडीपी का वोट शेयर 13.11 प्रतिशत से घटकर 1.61 प्रतिशत रह गया। कांग्रेस के वोट शेयर पर नजर डालें तो उसमें 6.5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, लेकिन सीटों की संख्या उतनी ही रही। कांग्रेस इस चुनाव में दो सीटें जीती है। असदुदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन, जो अपने नंबरों पर कब्जा करने में कामयाब रही, वास्तव में उसका वोट शेयर 2016 में 15.85% से बढ़कर 18.28% हो गया है।
आपको बता दें 150 वार्डों वाले हैदराबाद नगर निगम चुनाव में टीआरएस को 55, बीजेपी को 48, एआईएमआईएम को 44 और कांग्रेस पार्टी को दो सीटें मिली हैं। एक के नतीजे पर फिलहाल कोर्ट ने रोक लगा दी है।