गुजरात चुनाव में ‘पाकिस्तान की एंट्री’ भाजपा की हताशा, पढ़िए अंकिता का यह आर्टिकल
अंकिता चौहान/ नई दिल्ली –
गुजरात विधानसभा चुनावों में पहले चरण की वोटिंग हो चुकी है | 89 विधानसभाओ के 66.75 प्रतिशत लोगो ने इस लोकतांत्रिक त्योहार मैं भागीदारी कर अपना कर्तव्य निभाया है | इस बार गुजरात चुनावो मैं हमको पहले की भांति किसी एक दाल का पवर्चस्व देखने को नही मिल रहा है। कही खोई हुई साख बचाने की जद्दोजहद ,कही आरक्षण का सहारा, तो कहीं सत्ता को बचाए रखने की मशक्कत दिखाई पड़ रही है । अपनी तरफ से एड़ी चोटी का जोर वाद विवाद में प्रयोग होने वाली भाषा में साफ नजर आता है।
अभी तक सब कुछ राजनीतिक दलों के रोडमैप के अनुसार चल रहा था लेकिन चुनावो मैं पाकिस्तान की एंट्री हो जाने से चुनावी में मोड़ आ गया है भाजपा के कांग्रेस पर लगाए गए ये आरोप शायद उनकी चुनावी लिस्ट में हाल फिलहाल में ही जोड़े गए है । भारतीय जनता पार्टी में गुजरात चुनावो में पाकिस्तान का सहारा लेते हुए कांग्रेस पर पाकिस्तानी उच्चाधिकारियों से मिलने व गुजरात चुनावो में पाकिस्तान के साथ भागीदारी करने का आरोप लगाया है। हमारे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस के नेताओ ओर यह कहते हुए हमला बोला कि कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के घर कुछ पाकिस्तानी अधिकारी ,मनमोहन सिंह ,पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के साथ बैठक हुई व उसमे मुख्यमंत्री के तौर पर अहमद पटेल के नाम पर चर्चा हुई।
अरुण जेटली ने यह भी कहा कि बिना किसी सुरक्षा जानकारी के मीटिंग बुलाई गई और कांग्रेस गुजरात व देश के साथ धोखा कर रही है । कांग्रेस का पाकिस्तानी कनेक्शन गुजरात चुनावो मैं भाजपा का नया पैंतरा है ,हो सकता है इन आरोपों के कारण पहले चरण के मतदान में दिखाई पड़ जाए जहां से भाजपा की नींद उड़ी हुई है और जीत का सिर्फ एक यही तरीका उनको नज़र आ रहा हो । पहले चरण के मतदान में पाटीदार समाज के लोगो ने अन्य के मुकाबले बढ़ चढ़ कर मतदान किया जहाँ पहले 20 से 30 प्रतिशत लोग भाजपा के विरोध में नज़र आते थे अब लगभग 50 प्रतिशत लोग भाजपा के विरोध में दिखाई पड़ रहे है। आने वाली तारीखों में दूसरे चरण का मतदान होने वाला है, जहां 93 विधानसभाओ के लोग मतदान करेंगे । दूसरे चरण में पहले चरण की भरपाई करने हेतु मोदी सरकार ने पाकिस्तान का सहारा लिया है | ये बात अलग है जेटली के आरोप अभी तक पूरी तरह साबित नही हो पाए।
लेकिन अपनी पुरानी लाइन को न छोड़ते हुए भगवा सरकार ने कही न कहीं से चुनावो में सम्प्रदायवाद ला ही दिया | चारो तरफ विकास के नाम का ढोल पीटने पर भी हवा का रुख अपनी तरफ न कर पाने के कारण इस प्रकार के विचारों का मोदी सरकार के मस्तिष्क में आना लाज़मी था। दुःख की बात है शिक्षा , स्वास्थ, कुपोषण, मानव अधिकार ,अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों को छोड़ गुजरात चुनावो में सिर्फ पाकिस्तान के अधिकारी कहाँ किसके साथ बैठते है चर्चा का विषय बने हुए है । मोदी सरकार को चुनावी मुद्दे ढूंढने के लिए नेताओ की जासूसी का सहारा लेना पड़ रहा है बजाय गुजरात के धरातल को खंगालने के । हो सकता है कांग्रेस का पाकिस्तानी कनेक्शन जनता को बताने के लिए सरकार पहले चरण के मतदान के समाप्त होने का इतज़ार कर रही हो अगर जीत की संभावना दिखे तो आरोप बचा कर रख लिया जाए ।
परंतु प्रश्न यह है कि अचानक पाकिस्तान के चुनावों में आ जाने का क्या अर्थ व क्या कारण है । मोदी सरकार पाकिस्तान के नाम द्वारा राष्ट्रभक्तो को उकसाने व कांग्रेस के धर्म विशेष के प्रति मोह को दर्शाने का काम करना चाहती है । बार बार घूम फिर कर गुजरात से हम नागपुर पहुँच जाते है जहां से सभी आरोपो को तैयार कर भेज जाता है। हालांकि इस आरोप से चुनावो या दलो में कुछ खास उठा पटक नही होने वाली क्योंकि यह साफ तौर पर भीतर की खीझ अर्थात हताशा नज़र आ रही है । सिर्फ दो राष्ट्रों के अधिकारियों की मीटिंग को चुनाव मैं मुद्दे के रूप में इस्तेमाल करना अंधेरे में हाथ पर चलने जैसा है फिर भी भाजपा की गुजरात में दिख रही धुंधली ज़मीन को साफ करने में इस आरोप कितना और कहाँ तक फायदा पहुंचाया यह दूसरे चरण के बाद साफ हो पायेगा ।
– लेखिका अंकिता चौहान, सामाजिक एवं राजनैतिक मुद्दों पर बेबाकी से लिखती हैं |