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September 8, 2024
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बजट शरणम् गच्छामि ! ज़िला प्रशासन प्रॉपर्टी-डीलर बन कार्य न करे : रंजन राना, पर्यावरणविद

  • September 4, 2018
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बजट शरणम् गच्छामि ! ज़िला प्रशासन प्रॉपर्टी-डीलर बन कार्य न करे : रंजन राना, पर्यावरणविद

अलीगढ़|बड़े ही दुःख की बात है कि लोकतंत्र में विधायिका और कार्यपालिका अपना चरित्र खोती जा रही हैं,पूंजीपतियों के आगे नत्मस्तक होते हुए अक्सर देखना आम-बात हो गयी है| आज सांसद या विधायक विकास के नाम पर एक्स-प्रेस-वे,हवाई-अड्डों व उद्योग-इकाइयों को ही मान बैठे हैं,आज आम-जन की मूलभूत आवश्यकताएं ,खेती,तालाब ,पर्यावरण,स्कूल,अस्पताल आदि कहीं खो से गए हैं| विधायिका का आचरण देखकर जिलाधिकारी की सेना भी अपना रंग-रूप बदल रही है, ऐसा लगता है कि सब का एक ही उद्देश्य रह गया है कि विकास के नाम पर बजट के प्रस्ताव बनाओ और शासन को भेजो |
जनता अब तक कट्टीघरों से पीड़ित है,उभर भी नहीं पाई है कि सीमेन्ट के उद्योग उपजाऊ खेती को उजाड़ कर स्थापित कराये जा रहे हैं, 200-करोड़ का बजट लेकर जे.के. सीमेन्ट अलीगढ़ में दस्तक दे चुका है और जिलाप्रशासन कासिमपुर से लेकर लखनऊ तक पैरवी कर रहा है कि प्रॉपर्टी-डीलर भी शर्मा रहे हैं,चर्चा आम है कि —-“सईयाँ भये कोतवाल,तो डर काहे का|” ……अब सभी तरह की आपत्तियाँ कूड़ेदान में होंगीं|
हिमाचल प्रदेश में एक सीमेन्ट इकाई ने स्थानीय 60% लोगों को सांस का रोगी बना दिया है,खेती उजड़ रही है मिट्टी की जाँच चल रही है, एन.जी.टी. ने तत्काल रोक लगा दी है,और हम बिना समीक्षा करे आगे बढ़ रहे हैं|
जिस प्रकार प्रॉपर्टी-डीलर आधा-झूठ बोलकर केवल अपने लाभ को देखते हैं,ठीक उसी तरह आज जिला प्रशासन आँखें बंद कर कार्यवाही को अंजाम दे रहा है|