एनकाउंटर पर अलका लांबा बोलीं- ‘विकास दुबे के आकाओं का नाम लेने से जान का ख़तरा लगता है, कहीं अगली गोली पर हमारा ही नाम ना लिखा हो’
नई दिल्ली | यूपी के कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों का हत्यारा विकास दुबे उज्जैन के महाकाल मंदिर में सरेंडर करने के बाद भी नहीं बच सका | कानपूर लाते हुए यूपी एसटीएफ ने उसको एनकाउंटर में ढेर कर दिया | इस एनकाउंटर के बाद यूपी सरकार विपक्ष के निशाने पर है और सफेदपोशों को बचाने के आरोप लग रहे हैं | कांग्रेस नेत्री अलका लांबा के ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं जो सरकार से सुलगते सवाल कर रहे हैं |
अलका लांबा ने ट्वीट किया कि- जो यह सोच रहे हैं कि #विकास_दुबे की मौत के साथ वह सब चेहरे भी छुप गए जो इसके पीछे थे.. तो गलत है, मुझे तो लगता है कि वह चेहरे आज और साफ़ और उभर कर सबके सामने आ गयें हैं. बस खुलकर नाम लेने से सबको अपनी जान का ख़तरा लगता है, कहीं अगली गोली पर हमारा ही नाम ना लिखा हो.
एक ट्वीट के जवाब में अलका ने लिखा कि- दस में से साढ़े नौ लोगों को मजबूर भी इसी व्यवस्था ने ही किया है कि वह इसे सही ठहराए, जल्द न्याय की उम्मीद तो दूर की बात, लोगों ने तो न्याय मिलने की उम्मीद को ही छोड़ दिया, अब सब सत्ता की सहूलियत के अनुसार हो रहा है..
एक अन्य ट्वीट में अलका ने कहा कि- आज की तारीख़ में ख़ुद को बचाने के लिए “यह सब” करवाने की ताकत रखने वाला, सत्ता में बैठा कौन सा आदमी हो सकता है? ठीक : जिसका नाम आपके दिमाग में आ रहा है वही, पर एक नहीं वो हैं दो.
अलका ने विकास के एनकाउंटर पर ट्वीट करते हुए कहा कि – #विकासदूबे मारा गया, #ढोंगी बच निकला.
यूपी पुलिस की एनकाउंटर थ्योरी पर अलका लांबा ने ट्वीट किया कि- अद्भुत… कल तक जिसने अपनी ही मर्ज़ी से आत्मसमर्पण किया था आज वही निहत्था, अकेला, पुलिस की हिरासत में, हथकड़ियों से जकड़ा हुआ, शातिर बदमाश, 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का दोषी, #विकासदूबे भागते हुए पुलिस फायरिंग में मारा गया. कहानी ख़त्म?
सियासी खेल पर अलका ने कहा कि – सत्ता का खेल : जो पुलिस वाले ना सुनें, ग़लत में साथ ना दें, राजा के सारे राज जानते हों, उन्हें अपने ही पाले हुए बदमाशों से पहले मरवा डालो, फ़िर बाकि बचे पुलिस वालों से उन्हीं बदमाशों का एनकाउंटर करवा डालो. एक पंथ दो काज… समझे. #VikasDubey #विकासदूबे फाँसी ना सही- गोली सही