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राजद्रोह कानून का इस्तेमाल आवाज दबाने के लिए हो रहा है : पूर्व जस्टिस लोकुर

  • September 15, 2020
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राजद्रोह कानून का इस्तेमाल आवाज दबाने के लिए हो रहा है : पूर्व जस्टिस लोकुर

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एमबी लोकुर ने कहा, सरकार अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगाने के लिए देशद्रोह कानून का इस्तेमाल कर रही है। लोगों की आवाज पर अंकुश लगाने का एक और तरीका है, फर्जी खबर फैलाने का आरोप लगाकर महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने से रोकना।

उन्होंने कई पत्रकारों का उदाहरण दिया, जिन पर कोरोना वायरस के मामलों और वेंटिलेटर की कमी के मुद्दे उठाने पर फर्जी खबर फैलाने का आरोप लगाया गया है। जस्टिस (रिटायर्ड) लोकुर ने सोमवार को ‘फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड ज्यूडिशरी’ पर आयोजित वेबिनार में कहा, सरकार देशद्रोह के कानून को मजबूत हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। अचानक बहुत से लोगों के खिलाफ देशद्रोह के आरोप में केस दर्ज किए गए। एक आम नागरिक कुछ भी कहने की कोशिश करता है, उस पर देशद्रोह का आरोप लगा दिया जाता है। इस साल 70 केस दर्ज हो चुके हैं।

उन्होंने कहा कि यहां ऐसे लोग भी हैं जो हिंसा के बारे में बात करते हैं। लेकिन उन लोगों को कुछ नहीं होता। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि जिन लोगों को निरोधात्मक हिरासत में रखा गया है, वे इसे चुनौती नहीं दे रहे हैं। इसकी वजह शायद डर भी हो सकती है। प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले पर जस्टिस लोकुर ने कहा, उनके बयानों को गलत समझा गया। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर डॉक्टर कफील खान की स्पीच को भी गलत समझा गया।

न्यायपालिका में पारदर्शिता की जरूरत-
लंबित मामलों पर उन्होंने कहा कि मैं ई-कोर्ट की वेबसाइट पर गया था। करीब तीन करोड़ 40 लाख मामले लंबित हैं। न्यायपालिका को पारदर्शी होना है। उन्हें हमें बताना चाहिए कि उसकी ओर से क्या हो रहा है? अगर प्रयास हो रहे हैं तो उसे बताना चाहिए ताकि वकीलों और वादियों की प्रतिक्रिया ली जा सके। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार एन राम, कार्यकर्ता अरुणा रॉय, योगेंद्र यादव और अंजलि भारद्वाज ने भी भाग लिया।