भगवान राम के ये 8 मंदिर हैं प्रसिद्द, पढ़िए ये उनकी महिमा-
राम नाम की महिमा सारे जग में व्याप्त है, राम नाम कर्मों को सुधार लेने का एकमात्र साधन है। त्रेतायुग में न जाने कितनों का उध्दार प्रभु श्रीराम ने किया। राम ने वन पथगमन के दौरान सरयू नदी पार कराने वाले केवट से लेकर जंगलों में तपस्वी ऋषि मुनियों तारते हुए महापापी रावण को भी मोक्ष प्रदान किया।
राम के अयोध्या में शासन करने के जीते जागते सबूत भी मिल जाते हैं, लेकिन राम के मंदिर बनाने में आई तमाम रूकावटों के बाद अब राम का भव्य मंदिर बनने जा रहा है। लेकिन सम्पूर्ण भारत में राम के कई और विश्वविख्यात मंदिर भी हैं जिनके बारे में कई तरह के रोचक तथ्य भी हैं। आज इस लेख के जरिए हम आपको राम के कुछ प्रमुख मंदिरों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं।
ये हैं भारत में स्थित कुछ प्रमुख राम मंदिर
अयोध्या का भव्य राम मंदिर, उत्तरप्रदेश-
400 वर्षों से अधिक समय तक अयोध्या में स्थित राम के मंदिर पर विवाद चला सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक अब भव्य राम का मंदिर निर्मित होने जा रहा है। भारत के सभी प्रमुख राम मंदिरों में इस नवनिर्मित राम मंदिर की महिमा और श्रेष्ठता अपने आप में अद्वितीय होगी। अयोध्या प्रभु श्री राम की जन्म स्थली है श्री राम ने यहां से सम्पूर्ण भारतवर्ष में राज किया था। इसी अयोध्या नगरी में बैठकर शासन चलाया था, जिसकी वजह से सभी अन्य प्रमुख राम मंदिरों के साथ अयोध्या के श्री राम मंदिर की श्रेष्ठता की तुलना नहीं की जा सकेगी।
रघुनाथ मंदिर, जम्मू कश्मीर-
वैसे तो हर हिंदुस्तानी के रग-रग में राम बसते हैं, राम का स्थान समस्त देवताओं में सर्वोच्च है, लेकिन राम अलग-अलग भाषाई विविधताओं और पूजने की अलग-अलग प्रवृत्ति के हिसाब से पूजे जाते हैं। जम्मू कश्मीर का रघुनाथ मंदिर कश्मीर के महाराजा गुलाब सिंह ने सन् 1835 में करवाना प्रारंभ किया लेकिन इसका पूर्ण निर्माण महाराजा रणजीतसिंह के काल में संपन्न हो सका, रघुनाथ मंदिर अपने-आप में वास्तुकला का शानदार नमूना है। रघुनाथ मंदिर में राम के भव्य मंदिर के अतिरिक्त अन्य 7 ऐतिहासिक स्थल भी हैं, राम के प्रभुत्व के स्वयं साक्षी हैं। रामायण काल से जुड़ी घटनाओं के अनुरूप कई और मंदिर भी रघुनाथ मंदिर के निकट ही स्थित हैं।
त्रिप्रायर श्रीरामा मंदिर, केरल-
केरल के त्रिप्प्रायर शहर में स्थित श्रीरामा मंदिर त्रिप्रायर नदी के किनारे पर स्थित होने के साथ ही अपनी भव्यता के प्रचलित है। कोडुन्नगल्लुर के प्रमुख स्थान के रूप में श्रीराम मंदिर यहां का प्रमुख धार्मिक स्थान है। इस मंदिर में भगवान श्री विष्णु के 7वें अवतार के रूप में श्रीराम की पूजा की जाती है। इस मंदिर में स्थापित मूर्तियों के बारे में भी कई किंवदंतियां प्रचलित हैं। माना जाता है कि मंदिर में स्थापित की गयी मूर्तियां यहां के स्थानीय मुखिया को नदी के तट पर मिली थीं। जिसमें केवल राम ही नहीं अपितु शिव जी और ब्रह्मा जी की मूर्ति भी थी, जिस कारण यहां त्रिमूर्तियों की पूजा भी की जाती है। यहां की प्रचलित स्थानीय कलाओं का प्रदर्शन इस मंदिर के प्रांगण में प्राय: होता रहता है।
चित्रकूट का राम मंदिर (उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश)-
राम भगवान ने वनवास के दौरान दण्डकारण्य के पहले चित्रकूट में भी समय व्यतीत किया था जिसके सबूत आज भी विख्यात चित्रकूट में मिल जाते हैं। गुप्त गोदावरी, हनुमार धारा, लक्ष्मणशिला, सती अनुसुईया के साथ ही कई और स्थल भी आज भी मौजूद हैं। राम का भव्य मंदिर यहां स्थित है, चित्रकूट में ही भरत मिलाप भी हुआ था। राम ने वनवास के दौरान कई जगहों को भी अपने चरण-कमलों से पवित्र किया था जिनमें से एक चित्रकूट का धाम भी है।
श्रीसीतारामचंद्र स्वामी मंदिर, आंध्रप्रदेश-
आंध्रप्रदेश के खम्मण जिले के भद्राचलम शहर में स्थित सीतारामचंद्र स्वामी का ये मंदिर वनवासी जातियों के लिए कुल देवता की तरह मान्यता रखता है। राम हमेशा से ही वनवासियों के द्वारा पूजनीय रहे हैं। मान्यता के अनुसार जब राम, सीता और लक्ष्मण के संग वन जाने के लिये निकले थे तब उन्होंने गोदावरी के तट पर इन वनवासियों के संग कुछ समय बिताया था। जिसकी वजह से वनवासियों की कई पीढ़ियां राम भगवान को पूजती आ रही हैं। भद्राचलम से कुछ दूरी पर राम ने जो पर्णकुटी बनाकर यहां वास किया था, जिसे आज पर्णशाला के नाम से जाता है। इस मंदिर का कायाकल्प मध्यकाल के दौरान हुआ, बताया जाता है कि यहां के स्थानीय तहसीलदार कंचली गोपन्ना जो राम के अटूट भक्त भी थे, उन्होंने इस मंदिर को नया रूप देकर श्री राम का भव्य मंदिर बनवाया था।
श्री तिरुनारायण स्वामी मंदिर, कर्नाटक-
कर्नाटक की मांड्या जिला पांडुपुरा तहसील में मेल कोट नाम का एक छोटा सा कस्बा है जो कावेरी नदी के तट पर स्थित है जिसे थिरुनारायणपुरम के नाम से भी जाना जाता है जिसमें एक छोटी सी पहाड़ी है, जो यदुगिरी के नाम से जानी जाती है जिसमें 2 मंदिर हैं पहला मंदिर भगवान नरसिंह का है और दूसरा तिरु नारायण स्वामी मंदिर है।
हरिहरनाथ मंदिर, सोनपुर-
त्रेतायुग में श्री राम ने भगवान विष्णु की पूजा अर्चना के लिए समर्पित हरिहरनाथ के मंदिर का निर्माण कराया था, ऐसी मान्यता है कि जब श्री राम सीता स्वयंवर में जा रहे थे उसी दौरान उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया था।
थिरुवंगड श्रीरामस्वामी मंदिर, केरल-
केरल राज्य की कण्णूर जिले में अंग्रेजो के द्वारा निर्मित कराया गया थालास्सेरी में एक किला है, इस किले के करीब ही प्रसिद्ध राम मंदिर भी स्थित है। ऐसा बताया जाता है कि करीब 2000 वर्ष पूर्व इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। किंवदंतियों के अनुसार परशुराम ने भी भगवान विष्णु की पूजा के लिए एक मंदिर का निर्माण कराया था।