गौरतलब है कि राजनाथ सिंह को उम्मीदवार घोषित करने से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली को आरएसएस मुख्यालय नागपुर भेजा गया। जहां संघ के आला नेताओं को राजनाथ सिंह की उम्मीदवारी को लेकर अवगत कराया। खबर की माने तो संघ उनके नाम पर पूरी तरह से सहमत था। उनके नाम की सार्वजनिक घोषणा महज बाकी थी। लेकिन तभी पीएम मोदी ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को फोन कर दिल्ली बुलाया। मीटिंग में राजनाथ सिंह को राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित ना किए जाने की बात कही गई। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति पद के लिए सही व्यक्ति हैं। कोविंद से पहले संघ को पहले इसके बारे में बताना चाहिए। अमित शाह ने तुरंत इस पर कार्रवाई की है और राजनाथ सिंह का नाम राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में नहीं पेश किया गया। खबर है कि इस दौरान नई दिल्ली और अन्य राजनीतिक लीडरों के बीच करीब 30 मिनट तक बातचीत हुई। पीएम मोदी ने सबसे पहले इसकी जानकारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दी।
बीतें दिनों देश के 14वें राष्ट्रपति बने रामनाथ कोविंद ने चुनाव के दौरान कांग्रेस समेत 17 विपक्षी दलों की उम्मीदवार मीरा कुमार को हराया था। उन्होंने एनडीए के नेतृत्व में चुनाव लड़ा। चुनाव में कोविंद को 65 फीसदी से अधिक वोट मिले। वहीं मीरा कुमार केवल 34 फीसदी वोट पा सकीं। राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद रामनाथ कोविंद ने 25 जुलाई (2017) को देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। आमतौर पर माना जा रहा था कि राष्ट्रपति के लिए बिहार के पूर्व गवर्नर कोविंद का नाम सबसे पहले सामने आया था। लेकिन ये सच नहीं है। उनसे पहले भी एक और नाम राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए पेश किया गया था जिसे सभी ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया था। हांलाकि बाद में ये नाम बदलना पड़ा। ये नाम था केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का। सूत्रों की माने तो राजनाथ सिंह देश के 14वें राष्ट्रपति बनने के बहुत करीब थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह खुद इस योजना को अमलीजामा पहनाने में लगे थे। लेकिन अंतिम वक्त में रामनाथ कोविंद को एनडीए का राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया गया।