‘डिजिटल अरैस्ट’ से बचने के लिए पढ़िए प्रियंका शर्मा एडवोकेट का यह आर्टिकल-

डिजिटल अरेस्ट : “डिजिटल अरेस्ट” हाल ही में यह शब्द काफी सुनने में आ रहा है कि कैसे लोगों को डिजिटली अरेस्ट कर लोगों से पैसा लूटा जा रहा है | आए दिन स्कैमर्स नया तरीका ढूंढ रहे हैं जिनमें से एक नया तरीका डिजिटल अरेस्ट है, “डिजिटल अरेस्ट” जिसका किसी भी कानून में कहीं भी कोई भी प्रावधान नहीं है यहां तक कि नए कानूनों में भी इसका कोई जिक्र नहीं है ।
डिजिटल अरेस्ट स्कैमर्स का एक नया तरीका है कि कैसे लोगों को ठगा जाए और कैसे उनसे पैसे लूटे जाएं, ये स्कैमर्स ईमेल या मैसेजिंग ऐप के माध्यम से फेक गिरफ्तारी वारंट, कानूनी नोटिस या आधिकारिक दिखने वाले दस्तावेज़ भी भेज सकते हैं, वे अपने आरोपों को विश्वसनीय बनाने के लिये नकली साक्ष्य बना सकते हैं | पिछले कुछ समय में साइबर क्राइम और डिजिटल अरेस्ट की शिकायतों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में 1,35,242, वर्ष 2022 में 5,14,741 और वर्ष 2023 में 11,31,221 शिकायतें दर्ज की गई हैं, डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती घटनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपनी चिंता जता चुके हैं।

डिजिटल अरेस्ट में कोई आदमी पुलिस वाला या सीबीआई ऑफिसर बनकर एक मैसेज भेजता है या फिर वीडियो कॉल करता है और कहता है कि गैर कानूनी काम जिसमें आपको डिजिटल अरेस्ट किया जा रहा है कभी-कभी तो ऐसा आदमी पहले एक voice call करता है और फिर वीडियो कॉल भी करता है और कहता है जो आपने पार्सल बाहर विदेश में भेजा है उसमें कोई गैर कानूनी सामान मिला है आप मना करेंगे कि आपने ऐसा कुछ नहीं भेजा तो वह कहेंगे कि आपका आधार और फोन नंबर लगा है इसके बाद वह व्हाट्सएप्प कॉल या स्काइप पर बने रहने के लिए भी कहते हैं, आप अरेस्टेड हैं और आपको जमानत चाहिए तो पैसा भेजो,
वीडियो कॉल में दिखने वाला वर्दी में दिखता है और उसका पूरा सेटअप पुलिस स्टेशन जैसा होता है जिससे लोग घबरा कर पैसे भेज भी देते हैं, लेकिन ध्यान रखिए यह एक फ्रॉड है कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है अरेस्ट के लिए सही गिरफ्तारी यह होती है कि पुलिस का अधिकारी आपके सामने आता है और सामने हथकड़ियां लगता है और गिरफ्तार करता है इसके अलावा सारी जो गिरफ्तारियां होती है वह गैरकानूनी होती है, फ्रॉड होती हैं, साइबर क्राइम के कई मामले ऐसे सामने आते हैं जिनमें से एक यह भी है डिजिटल अरेस्ट ।
आगरा में भी डिजिटल अरेस्ट के कई मामले सामने आए हैं जिसकी ना तो कोई माफी है और ना ही कोई भरपाई है, हाल ही में ताजा मामला आगरा में आया था यहां एक मॉडल को दो घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया था और उससे 99 हजार रुपये की ठगी हुई थी | सहायक पुलिस आयुक्त (लोहामंडी) मयंक तिवारी ने बताया था कि शाहगंज थाना क्षेत्र के बोदला-शाहगंज रोड की रहने वाली पीड़िता एवं मॉडल शिवांकिता दीक्षित ने इस घटना की जानकारी पुलिस को दी थी उन्होंने बताया कि जालसाजों ने पीड़िता को वॉट्सऐप कॉल किया था और मादक पदार्थों की तस्करी का पैसा अपने खाते में प्राप्त करने का आरोप लगाया था | ऐसा ही एक मामला और आगरा में हुआ था जिसमें पाकिस्तान से एक व्हाट्सएप कॉल आया था आगरा में रहने वाली एक टीचर को, जिसने उस टीचर की जिंदगी छीन ली |
इन कुछ पॉइंट्स में आसानी से समझते हैं कि डिजिटल अरेस्ट का खेल क्या है-
-डिजिटल अरेस्ट में किसी भी अनजान नंबर से वीडियो कॉल आता है |
-किसी केस में फंसने या परिजन के पकड़े जाने का हवाला दिया जाता है|
-धमकी देकर लोगों को कैमरे के सामने रहने के लिए मजबूर किया जाता है |
-वीडियो कॉल करने वाले शख्स का बैकग्राउंड पुलिस स्टेशन जैसा दिखता है पीड़ित को लगता है कि पुलिस उससे पूछताछ कर रही है |
-पुलिस केस और अरेस्ट से बचने के लिए पैसे की डिमांड की जाती है |
अगर आपके साथ भी ऐसा ही कोई फ्रॉड हुआ है या डिजिटल अरेस्ट का मामला हुआ है तो ऐसे में क्या करें ?
सबसे पहले कंप्लेंट फाइल करें नेशनल साइबर क्राईम रिर्पोटिंग पोर्टल पर, जिसकी वेबसाइट है cybercrime.gov.in और हमेशा अपने पास सबूत रखे जो भी आपके पास मौजूद हों, जैसे कि कॉल डिटेल्स, ट्रांजैक्शंस डीटेल्स, मैसेजेस इत्यादि, जरूरी हो तो अपने वकील से भी सुझाव लें | अगर आपके पास भी ऐसे कॉल आते है तो कॉल आने पर तुरंत पुलिस में शिकायत करें। यदि कोई मैसेज या ई-मेल आता है तो उसे सबूत के तौर पर पुलिस को दें। यदि किसी कारण आपने कॉल रिसीव कर लिया और आपको वीडियो कॉल पर कोई धमकी देने लगा तो स्क्रीन रिकॉर्डिंग के जरिए वीडियो कॉल को रिकॉर्ड करें और शिकायत करें। किसी भी कीमत पर डरें नहीं और पैसे तो बिलकुल भी ना भेजें ।
- लेखिका प्रियंका शर्मा एडवोकेट हैं और सामाजिक मुद्दों पर लिखती रहती हैं |