UP में कांग्रेस की कमान विधायक अजय लल्लू को, टीम प्रियंका’ में युवाओं को तरजीह, इन धुरंधरों को मिली जिम्मेदारी-
नई दिल्ली | कांग्रेस हाईकमान ने इस बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) में युवा व सक्रिय नेताओं को तरजीह देकर वरिष्ठ नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में रखा है। इस मंडल की अध्यक्षता खुद पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा करेंगी, हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा सोमवार को नहीं की गई। पीसीसी में दलित, मुस्लिम व सामान्य जातियों के नेताओं को जगह देकर जातिगत समीकरण को साधने के प्रयास भी किए गए हैं। तमाम कयासों को दरकिनार कर हाईकमान ने ब्राह्मण और क्षत्रिय नेता के बजाय पिछड़ी जाति के अजय कुमार लल्लू पर दांव लगाना ज्यादा मुफीद माना।
उनकी पैरवी खुद को दलित प्रचारित करने वाले कांग्रेस के एक क्षत्रिय नेता ने की, जोकि पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के काफी खास माने जाते हैं। जातिगत समीकरण के लिहाज से देखें तो नई पीसीसी में करीब 45 फीसदी प्रतिनिधित्व पिछड़ी जातियों का है। अति पिछड़ी जातियों पर ज्यादा फोकस रहा है। 20 प्रतिशत दलित और 15 प्रतिशत मुस्लिम नेता है। इसमें पसमांदा मुस्लिम समाज को भी तरजीह दी गई है।
नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के साथ 41 सदस्यीय प्रदेश कांग्रेस कमेटी की घोषणा भी कर दी गई है। इसमें युवाओं को तरजीह दी गई है। 12 नेताओं को महासचिव और 24 को सचिव पद दिया गया है। आलोक प्रसाद पासी, विश्व विजय सिंह, चौधरी धुरम लोधी, राकेश सचान, यूसुफ अली तुर्क, अनिल यादव, राजीव त्यागी, वीरेंद्र सिंह गुड्डू, योगेश दीक्षित, राहुल राय, शबाना खंडेलवाल और बदरुद्दीन कुरैशी महासचिव बनाए गए हैं।
सचिव बनने वाले नेताओं में गुरमीत भुल्लर, विधित चौधरी, राहुल रिचारिया, देवेंद्र निषाद, मोनिंदर सूद वाल्मीकि, विवेकानंद पाठक, देवेंद्र प्रताप सिंह, ब्रह्मस्वरूप सागर, कैसर जहां अंसारी, रमेश शुक्ला, धीरेंद्र सिंह धीरू, सत्य सन्यम, प्रेम नारायण पाल, सरिता दोहरे, शाहनवाज आलम, कनिष्क पांडेय, अमित सिंह दिवाकर, कुमुद गंगवार, राकेश प्रजापति, मुकेश धन्कर, हरदीपक निषाद, जीतलाल सरोज, सचिन चौधरी और प्रदीप कुमार कोरी शामिल हैं।
लगभग 20 फीसदी सामान्य वर्ग के नेताओं का प्रतिनिधित्व है। सक्रिय महिलाओं को भी स्थान दिया गया है। कमेटी के सदस्यों की औसत आयु 40 वर्ष है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पार्टी ने संगठन को नए सिरे से खड़ा करने में युवाओं पर ज्यादा भरोसा किया है। पिछली बार पीसीसी में करीब 500 सदस्य थे, जिनकी संख्या इस बार घटाकर 41 कर दी गई है, ताकि एक निश्चित समय अंतराल के बाद आसानी से कमेटी की बैठक हो सके और प्रभावी रणनीति बनाई जा सके।
वहीं, आरपीएन सिंह, एनएन सिंह और प्रमोद तिवारी जैसे वरिष्ठ नेताओं को भी नजरअंदाज नहीं किया है, उन्हें सीधे प्रियंका गांधी से जोड़ते हुए मागदर्शक मंडल में रखा गया है। जितिन प्रसाद और राजीव शुक्ला को आठ सदस्यीय रणनीतिक ग्रुप में रखकर उन्हें भी पर्याप्त महत्व दिया गया है। नई पीसीसी को देखकर यह भी लग गया कि इस बार पार्टी हाईकमान प्रदेश के किसी भी वरिष्ठ नेता के दबाव में नहीं आया। कई वरिष्ठ नेताओं और खानदानी राजनीतिकों ने लल्लू का कई पार्टी फोरम पर विरोध किया, लेकिन अंतत: पार्टी ने उन्हें ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपने लायक माना।
12 नेताओं को महासचिव और 24 को सचिव पद दिया गया