अपने ‘गढ़’ बचाने की बेकरारी में प्रियंका की अमेठी में बढ़ी दिलचस्पी, उठाया था दलित उत्पीड़न का मुद्दा
अमेठी। कांग्रेस महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका वाड्रा की अमेठी में एक बार फिर दिलचस्पी बढ़ रही है। वैसे भी प्रियंका ने 2002 में अमेठी के संग्रामपुर में ही दलित राजनीति के सहारे राजनीति में सीधा दखल दिया था। तब उन्होंने दबंगई का शिकार हुए दलित राम भजन को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ी थी। दलित राजनीति में प्रियंका के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए तत्कालिन मुख्यमंत्री मायावती ने अमेठी में सावधान रैली कर संसदीय क्षेत्र को जिला बनाने के साथ बड़ी सौगात दी थी। एक बार फिर अमेठी में कुछ वैसे ही हालात बन रहे हैं। इस बार भी प्रियंका संग्रामपुर की एक दलित बेटी के साथ हुई अमानवीयता को लेकर प्रदेश सरकार पर हमलावर हैं और आने वाली तीन जनवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अमेठी आ रहे हैं।
कुुछ ऐसे ही हालत अमेठी में 19 साल पहले भी बने थे। बात नवंबर 2002 की है जब प्रियंका की राजनीति में औपचारिक एंट्री नहीं हुई थी। हालांकि प्रियंका अमेठी में सक्रिय रहती थी और अपनी मां सोनिया गांधी का काम देखती थी। इसी दौरान छह नवंबर को संग्रामपुर के पुन्नपुर निवासी दलित राम भजन का घर ढहा दिया गया। मामला पंचायत चुनाव की रंजिश से जुड़ा था। उस समय प्रदेश में बसपा की सरकार होने के बावजूद 16 दिन तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। 22 नवंबर को प्रियंका राम भजन के घर जाकर घटना की जानकारी ली और उसे लेकर मुकदमा दर्ज कराने संग्रामपुर कोतवाली पहुंच गई।
जमीन खरीदकर करवाया था घर का निर्माण : प्रियंका ने ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष राजीव सिंह से श्रमदान से मकान बनवाए जाने की बात कही। प्रियंका दल बल के साथ श्रमदान करने जाने ही वाली थी, प्रशासन ने रोक लिया। इसके बाद राजीव ने एक विश्वा जमीन खरीद कर उस पर राम भजन का मकान निर्माण श्रमदान से शुरू कर दिया। उस समय इस घटना की राष्ट्रीय स्तर पर काफी चर्चा हुई थी। विवाद के बाद ही अमेठी बना था जिला : प्रियंका ने तत्कालिन मुख्यमंत्री मायावती को इस घटनाक्रम के बहाने घेरने की कोशिश की थी। जिसके बाद मुख्यमंत्री मायावती ने 11 दिसंबर 2002 की अंबेडकर मैदान अमेठी में दलित सावधान रैली कर अमेठी को छत्रपति शाहूजी महराज नगर के नाम से जिला घोषित कर दिया और 21 मई 2003 को जिले की अधिसूचना भी जारी कर दी थी।
हाई प्रोफाइल है अमेठी सीट : 2019 के चुनाव में अमेठी ही एकमात्र ऐसी विधान सभा रही, जहां से राहुल गांधी को जीत मिली थी, लेकिन इसके बाद पंचायत चुनाव में पार्टी को बुरी तरह निराशा का सामना करना पड़ा था। 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को यहां सिर्फ 10.91 प्रतिशत वोट ही मिले थे। अब तक अमेठी विधानसभा सीट से नौ बार कांग्रेस को जीत मिल चुकी है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंघल ने कहा कि अमेठी से प्रियंका दीदी व राहुल भइया का पारिवारिक रिश्ता है। वह हमेशा यहां के लोगों के दुख-सुख में साथ रहते हैं और आगे भी रहेंगे।