ऊना कांड : दलितों ने छोड़ा हिन्दू धर्म , अन्य से भी किया आहवान
नई दिल्ली | ऊना कांड के पीड़ितों का कहना है कि सिर्फ वो ही लोग बौद्ध धर्म नहीं अपना रहे हैं, बल्कि वह अत्याचार के शिकार बाकी लोगों को भी हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने को कहेंगे। करीब 2 साल पहले हुए ऊना कांड के 4 पीड़ितों ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने का ऐलान किया है। ऊना कांड के एक पीड़ित वशराम सर्वइया का कहना है कि सिर्फ वो ही लोग बौद्ध धर्म नहीं अपना रहे हैं, बल्कि वह अत्याचार के शिकार बाकी लोगों को भी हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने को कहेंगे। इनमें साल 2012 में थानगढ़ में मारे गए लोगों के रिश्तेदार भी शामिल हैं। बता दें कि साल 2016 के जुलाई माह में वशराम, उसके भाईयों रमेश, अशोक और बेचार को कथित गौरक्षकों ने बंधक बनाकर अर्द्धनग्न हालत में बुरी तरह से पीटा था। इस घटना के बाद देश में बवाल हो गया था और गुजरात में दलित मूवमेंट को बढ़ाने में यह घटना अहम वजह बनी थी। गौरतलब है कि ऊना कांड के पीड़ितों ने पहले बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के जन्मदिवस 14 अप्रैल को हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने का फैसला किया था, लेकिन बाद में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के लिए कार्यक्रम आयोजित करने के उद्देश्य से 29 मई को बौद्ध धर्म अपनाने का फैसला किया है। ऊना कांड के एक पीड़ित वशराम ने कहा कि हमनें हिंदू धर्म छोड़ने का फैसला 2 महीने पहले किया था, लेकिन बाबासाहेब के जन्मदिवस पर पहले से ही कई कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। इसलिए हमनें फैसला किया है कि बुद्ध पूर्णिमा पर धर्मांतरण किया जाएगा, क्योंकि इस दिन ही भगवान बुद्ध को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी।
वशराम ने आगे कहा कि केवल हम ही जाति आधारित अत्याचार के पीड़ित नहीं हैं, इसलिए हमारी कोशिश है कि समुदाय के अन्य लोगों को भी बौद्ध धर्म अपनाने के लिए मनाने की कोशिश की जाएगी। ताकि वो लोग भी एक नया जीवन पा सके, जहां जाति के आधार पर कोई उनका शोषण ना कर सके। साल 2012 में थानगढ़ घटना में मारे गए एक युवक के पिता का कहना है कि हम हिंदू धर्म छोड़ने और बौद्ध धर्म अपनाने के लिए तैयार हैं। हत्यारे हमें हिंदू नहीं मानते और इसीलिए उन्होंने हमारे बच्चों की हत्या की। ऐसे में हम इस धर्म में नहीं रह सकते हैं। बता दें कि साल 2012 में गुजरात के थानगढ़ में पुलिस फायरिंग में 3 दलित युवकों की मौत हो गई थी।