प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप में दिलचस्पी नहीं ले रहे छात्र एवम छात्राए
नई दिल्ली | उच्च स्तरीय शोध को बढ़ावा देने के लिए इसी साल से शुरू की जा रही प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप (पीएमआरएफ) में छात्र दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। आवेदन की अंतिम तारीख एक बार बढ़ा देने के बाद भी बीते सोमवार तक मात्र 678 आवेदन आए हैं, जबकि सरकार ने इस साल एक हजार छात्रों को ये फेलोशिप देने का लक्ष्य बनाया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 फरवरी को पीएमआरएफ को मंजूरी दी थी। इसका मकसद देश में विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में गुणवत्ता पूर्ण शोध को बढ़ावा देना था। इसके तहत भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्था (एनआईटी) और आईआईएसईआर से विज्ञान एंव प्रौदयोगिकी विषयों में बीटेक, एमटेक या एमएससी करने वाले छात्रों को आईआईटी और आईआईएससी में पीएचडी कार्यक्रम में सीधा प्रवेश दिया जाना है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 24 फरवरी को आवेदन मंगाने शुरू किए थे। 31 मार्च अंतिम तिथि थी। आवेदन की संख्या को उम्मीद से कम होने के बाद आवेदन की तारीख को बढ़ाकर 13 अप्रैल की गई। पर 10 अप्रैल तक मात्र 678 छात्रों ने ही आवेदन किया। सूत्र की मानें तो इनमें भी बीटेक से ज्यादा एमटेक के वे छात्र हैं, जिन्होंने बीटेक किसी गैर-इलीट संस्थानों से किया है।
आईआईटी कानपुर के पूर्व निदेशक ने संयज ढांढे ने पीएमआरएफ में कम रूचि पर कहा, हमारे यहां सबसे बड़ी समस्या ये है कि पीएचडी के बाद छात्र का भविष्य अंधकारमय हो जाता है। पांच साल बाद बीटेक करने वाला छात्र जहां लाखों में वेतन पाता है, वहीं पीएचडी करने वाले छात्र जीवनयापन के लिए चिंतित रहते हैं। पीएमआरएफ में भी पीएचडी के लिए पैसे दिए जा रहे हैं, लेकिन पीएचडी के बाद इन छात्रों का क्या होगा?
ढांढे ने कहा कि अगर हमें अपने यहां शोध को बढ़ावा देना है तो हमें पीएचडी के बाद भी छात्रों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करना होगा। पीएमआरएफ को सिर्फ एलीट संस्थानों के बच्चों के लिए आरक्षित कर देने को भी गलत निर्णय बताते हुए उन्होंने कहा कि जब आपने 8.0 सीजीपीए को न्यूनतम योग्यता को पैमाना तय किया है, तो जो भी छात्र इसे पूरा करते हैं भले ही वे किसी भी कॉलेज से पढ़े हों, उन सबको इसमें मौका देना चाहिए। वहीं, केंद्रीय उच्च शिक्षा सचिव आर. सुब्रहण्यम ने कहा कि भले ही आवेदन कम आए हों, लेकिन पोर्टल पर 28 सौ से अधिक छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि अंतिम तारीख तक और आवेदन आ जाएंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा अब आवेदन की अंतिम तारीख अब नहीं बढ़ाई जाएगी। इस सवाल के जवाब में कि क्या कम आवेदन की स्थिति में क्या सभी आवेदकों को फेलोशिप मिल जाएगी? सचिव ने कहा कि आवेदन की मेरिट के आधार पर ही फेलोशिप दी जाएगी। भले ही उसकी संख्या कम हो। पीएमआरएफ में शोधार्थियों को पहले 2 वर्षों के लिए 70,000 रुपए प्रति माह, तीसरे वर्ष के लिए 75,000 रुपए प्रति माह और चौथे-पांचवें वर्ष में 80,000 रुपए प्रति माह का मानदेय दिया जाना है। इसके अलावा प्रत्येक शोधार्थी को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और सेमिनारों में शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए प्रति वर्ष 2 लाख रुपए का शोध अनुदान भी मिलेगा।