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#अलीगढ़ में #बैंक कर्मियों का #केंद्र सरकार के #खिलाफ धरना

  • May 31, 2018
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#अलीगढ़ में #बैंक कर्मियों का #केंद्र सरकार के #खिलाफ धरना

अलीगढ़ | भारतीय बैंक संघ एवं केंद्र सरकार की वेतन पुनरीक्षण में हीलाहवाली एवं मात्र दो फीसदी वृद्धि के प्रस्ताव के विरोध में प्रस्तावित बैंकों की देशव्यापी हड़ताल जनपद में खासी प्रभावी रही। इस दौरान जिले की 21 सरकारी बैंकों की 200 शाखाओं में ताले लटके रहे और 1500 से ज्यादा अधिकारी एवं कर्मचारी हड़ताल पर रहे। हड़ताल से समूचे जनपद में करीब 800 करोड़ रुपये का टर्नओवर रुक गया। हड़ताल से बड़े कारोबारियों को तो ज्यादा दिक्कतें नहीं आई, लेकिन छोटे एवं मझोले कारोबारी और आम लोग लेन देन को तरस गए। क्लीयरिंग हाउस बंद रहने से चेक व ड्राफ्ट क्लीयर नहीं हो सके। इसके चक्कर में कारोबारियों को सौदे काटने पड़े। इधर बैंक कर्मियों ने यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस के बैनर तले भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा पर धरना प्रदर्शन कर केंद्र सरकार एवं भारतीय बैंक संघ को जमकर कोसा। इस मौके पर यूनियन के संयोजक वीके शर्मा ने बताया कि यूनियन पिछले 15 वर्षों से लगातार यह मांग करती रही हैं कि ख़राब ऋणों की वसूली के लिए कठोर कानून बनाया जाए। जानबूझकर ऋण न चुकता करने वालों के विरुद्ध फौजदारी मुकदमे दायर किए जाएं। किंतु सरकारों के कान पर जूं तक नहीं रेगीं। खराब ऋणों की वसूली के लिए बैंककर्मियों ने अपने वेतन कटाकर हड़तालें भी की, किंतु सरकार पर कोई प्रभाव नहीं हुआ।

इसके परिणाम स्वरूप बैंकों से धन लूटकर उद्योगपति विदेश भाग गए, जिनसे आज तक वसूली नहीं की जा सकी और न ही कोई उम्मीद है। ऐसे में बैंकों की आर्थिक स्थिति ख़राब होने के लिए बैंक अधिकारी व कर्मचारी कैसे जिम्मेदार ठहराए जा सकते हैं। ऊपर से सरकार व भारतीय बैंक संघ ने मात्र दो फीसदी वेतन वृद्धि का प्रस्ताव देकर बैंककर्मियों को चिढ़ाने का काम किया है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

यूनियन के अध्यक्ष रंजीत सिंह ने बताया कि भारतीय स्टेट बैंक की घंटाघर स्थित मुख्य शाखा पर बैंक कर्मी धरना प्रदर्शन करेंगे। इस मौके पर एसके दुबे, हीरा लाल मित्तल, गौरव गौड़ , प्रदीप सचान, अतुल सिंह, सुनील मेहरोत्रा, वीके मौर्य, योगेंद्र प्रताप सिंह, शर्मीला कुलश्रेष्ठ, जगमोहन शर्मा, जीसी पालीवाल, महेश चंद्र, कीर्ति कमल आदि ने कहा कि सरकार को हमारी न्यायोचित मांगों को मानना ही पड़ेगा वरना बैंकों की लगातार हड़ताल से आर्थिक चक्का जाम हो जाएगा। आवश्यकता पड़ी तो कई हड़तालें की जाएंगी, यहां तक कि अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी विचार किया जा सकता है। इस मौके पर बड़ी संख्या में बैंककर्मी मौजूद थे।