मुलायम के मोदीमय बयान पर UP में कांग्रेस को एकतरफा फायदा पंहुचा सकता है मुस्लिम समाज !
दशकों पहले समाजवादी विचारधारा से जुड़े तमाम बड़े नेता कई हिस्सों में बंट गये थे। समाजवादी विचारधारा की पार्टियां बनीं और मिटीं। अंत में समाजवादी नेता मुलायम सिंह की कयादत में उतर प्रदेश में समाजवादी पार्टी जम गयी। इस पार्टी ने कई बार यूपी में सरकार बनायी। केंद्र की सत्ता में भी सपा की भागीदारी रही। समाजवादी मुलायम राजनीति में लम्बी रेस के घोड़े साबित हुई। जब शेर बूढ़ा होने लगा तो घर(सपा) बिखर सा गया।
मुलायम ने पुत्र अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया। जिसके बाद मुलायम को ही पार्टी के अध्यक्ष पद से बेदखल कर दिया गया। मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल यादव भी पार्टी से बेदखल कर दिये गये। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर काबिज भतीजे अखिलेश यादव से निराश और हताश शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली। मुलायम ने बिखर रही सपा को एक करने की लाख कोशिशों में नाकामी पाकर आज भाजपा के महानायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोश
दूसरा समाजवाद- शिवपाल यादव वाली प्रगतिशील समाजवादी पार्टी में समायोजित हो गया। और तीसरा सबसे वरिष्ठ समाजवादी पुरोधा मुलायम सिंह यादव भाजपा के नरेंद्र मोदी की आस्था में लीन हो गये। ऐसा नहीं है कि संसद के आखिरी दिन मुलायम सिंह यादव की जुबान फिसल गई और उनके मुंह से प्रधानमंत्री मोदी के बारे में कोई अच्छाई निकल गई। ऐसा भी नहीं कि शिष्टाचार के तहत मुलायम ने मोदी को एक वाक्य में शुभकामनाएं दीं। मुलायम सिंह यादव ने तयशुदा तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी प्रशंसा में पूरा भाषण दिया। भाजपा सरकार के कसीदे वाले पिता मुलायम के भाषण पर पुत्र अखिलेश क्या जवाब देते हैं, इसका हर किसी को इंतजार है।
अब चर्चाएं तेज हो गयी हैं। मुलायम पर आस्था रखने वाले और मोदी का विरोध करने वाले अभी तक खामोश हैं। लेकिन ये तय है कि संसद में मुलायम के मोदीमय होने के बाद यूपी में कांग्रेस को बड़ा फायदा हो सकता है। यहां सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस दोनों ही मुसलमानों की पसंद हैं। यूपी की आबादी का बीस फीसद हिस्सा मुस्लिम समाज कशमकश में था कि वो किसे ताकत दे। यदि सपा-बसपा गठबंधन को वोट करें तो लोकसभा चुनाव में मुसलमानों का पहला प्यार कांग्रेस हार जायेगा। जबकि केंद की सत्ता से यदि भाजपा बेदखल हुई तो केंद में केंद्रीय भूमिका कांग्रेस की ही रहेगी। मुसलमानों की ये कशमकश मुलायम सिंह की मनोभावना की अभिव्यक्ति ने दूर कर दी। सपा से नाराज होकर अब यूपी की बीस प्रतिशत आबादी वाला मुस्लिम समाज एकजुट होकर कांग्रेस की झोली भर सकता है। मुलायमवादी यादव समाज भाजपा पर आस्था व्यक्त कर सकता है। यानी इस नजरिए से देखिए तो मुलायम के भाषण ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही खुश कल दिया। साथ ही अपनी पैदा की हुई पार्टी से बेदखल और इसे एक करने में नाकाम हो चुके मुलायम सिंह यादव ने भविष्य में राष्ट्रपिता या उपराष्ट्रपति बनने की जमीन में बीज बो दिये।
-लेखक नवेद शिकोह यूपी के वरिष्ठ पत्रकार हैं।