यूपी बोर्ड परीक्षा 2020- ‘सभी परीक्षा के दौरान केंद्रों की होगी वेबकास्टिंग’
यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2020 के दौरान सभी केंद्रों की वेबकास्टिंग होगी। इसके लिए हर जिले में कंट्रोल रूम बनेगा। वहीं लखनऊ में बैठकर भी बलिया के किसी गांव के स्कूल का लाइव प्रसारण देखा जा सकेगा। राज्य सरकार ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की 2020 की बोर्ड परीक्षाओं के लिए केंद्र निर्धारण नीति जारी कर दी है। 30 नवंबर तक केन्द्र निर्धारण कर सूची जारी कर दी जाएगी। इससे पहले 2019 की परीक्षा में बोर्ड ने प्रयोग के तौर पर अलीगढ़, बुलंदशहर और प्रयागराज के कुछ केंद्रों की वेबकास्टिंग की थी लेकिन 2020 की परीक्षा में सभी स्कूलों में सीसीटीवी, वायस रिकार्डर और राउटर अनिवार्य कर दिया है ताकि वेबकॉस्टिंग की जा सके।
इस बार भी परीक्षा केंद्रों का निर्धारण मेरिट के हिसाब से होगा। विभिन्न मानकों पर स्कूलों को नम्बर दिए जाएंगे। इसी आधार पर केंद्र निर्धारण होगा। सीसीटीवी, वायस रिकार्डर, डीवीआर और राउटर होने की स्थिति में स्कूल को 50 नंबर दिए जाएंगे। इसी तरह 22 बिन्दुओं पर स्कूलों को नंबर दिए जाएंगे। मेरिट में जो स्कूल ऊपर होंगे उन्हें परीक्षा केंद्र बनाने के लिए कहा गया है। अपर मेरिट के लिए कई मानक तय रखे गए हैं। मसलन, इंटरमीडिएट तक के विद्यालयों को 10 अंक और हाई स्कूल को 5 अंक, मुख्य प्रवेश द्वार पर लोहे का गेट लगा होने पर 10, अग्निशमन उपकरण के लिए 10 अंक, मुख्य संपर्क मार्ग से जुड़ाव होने पर 20 नंबर आदि। वहीं इन सुविधाओं के नहीं होने पर जीरो अंक दिया जाएगा। पिछले वर्ष हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का परीक्षा फल 90-90 फीसदी से अधिक होने पर 10-10 अंक दिए जाएंगे।
स्कूलों की सूची अंकों के हिसाब से तय की जाएगी और मेरिट के मुताबिक केन्द्रों का निर्धारण होगा। प्राप्त अंकों के आधार पर 10 किलोमीटर की परिधि के तहत विद्यालयों की मेरिट लिस्ट तैयार होगी और इसके बाद ही परीक्षा केंद्रों का चयन ऑनलाइन होगा। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र दोनों में ही बालिकाओं के स्कूलों को यदि परीक्षा केंद्र बनाया गया है तो उन्हें उसी स्कूल में केंद्र आवंटित किया जाएगा। जहां पर केंद्र नहीं बना है। वहां से अधिकतम 5 किलोमीटर के अंदर केंद्र पर परीक्षा देने की सुविधा दी जाएगी। यह सुविधा शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की संस्थागत बालिकाओं को भी उपलब्ध कराई जाएगी जो लड़कों के विद्यालयों में अध्ययनरत हैं। वहीं यदि स्कूल गलत सूचना देकर परीक्षा केन्द्र बन जाएंगे तो संबंधित प्रधानाचार्य, डीआईओएस आदि के खिलाफ दण्डात्मक कार्रवाई तो होगी ही, साथ ही स्कूल को भी एक साल के लिए डिबार कर दिया जाएगा।
किसी भी विद्यार्थी को जूता-मोजा उतार कर परीक्षा देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा बल्कि इसकी चेकिंग पहले ही कर ली जाएगी। डीवीआर का आईपी एड्रेस व पासवर्ड स्कूल के प्रधानाचार्य को सीलबंद लिफाफे में एक महीने पहले ही देना होगा। इसी पासवर्ड से प्रदेश के किसी भी कोने से, किसी भी स्कूल का सीधा प्रसारण देखा जा सकेगा। हर जिले में 15-16 कम्प्यूटरों से लैस कंट्रोल रूम बनाया जाएगा जिसकी मॉनिटरिंग के दो-दो शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाएगी। यहां डीएम द्वारा नामित एक प्रशासनिक अधिकारी भी रहेगा।