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शशांक मिश्रा/इलाहाबाद | सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति और ई-कमेटी के चेयरमैन जस्टिस मदन बी.लोकुर ने शनिवार को कहा कि न्याय निष्पादन प्रणाली में कम्प्यूटराइजेशन से पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसकी शुरूआत कर एक और ऐतिहासिक क्रान्ति किया है। यह सिर्फ न्यायपालिका ही नहीं बल्कि न्यायाधीशों, वकीलों, रजिस्टी और वादकारी सभी के लिए लाभदायक है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहली ई-कोर्ट का उद्घाटन समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए जस्टिस लोकुर ने कहा कि तकनीक का इस्तेमाल त्वरित न्याय देने की दिशा में काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। अधीनस्थ न्यायपालिकाओं को नेशनल डाटा ग्रिड से जुड़ जायेगा। उन्होंने मोबाइल एप्लीकेशन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह भविष्य में मुकदमों से संबंधित सूचनाओं को उपलब्ध कराने की दिशा में काफी सहायक है। अधिवक्ताओं को मुकदमों की जानकारी ई-मेल और एसएसमएस के जरिये प्राप्त होगी। कोर्ट की मोबाइल एप को 70 हजार लोग डाउनलोड कर चुके हैं।
अतिथियों का स्वागत करते हुए मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले ने कहा कि यह इलाहाबाद हाईकोर्ट के लिए ऐतिहासिक क्षण है, ई-फाइलिंग से दस्तावेजों को सुरक्षित रखने में सहूलियत होगी। इससे श्रम की बचत होगी और समय की भी। दशकों से हाईकोर्ट में दस्तावेज दाखिल हो रहे हैं। इनको सुरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती है। उम्मीद है कि भविष्य में हाईकोर्ट पूरी तरह से पेपर लेस होगा। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट ने बहुत कम समय में 80 हजार फाइलों को डिजिटिलाइज कर लिया है। हमने वकीलों की सुविधा के लिए एसएमएस और वेब डायरी भी लांच की है।
ई-कमेटी के चेयरमैन जस्टिस दिलीप गुप्ता ने कम्पयूटाइजेशन कार्य की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि जस्टिस लोकुर के सहयोग और मार्गदर्शन से हाईकोर्ट बहुत कम समय में इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहा है। महाधिवक्ता राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने प्रदेश सरकार की ओर से पूरा सहयोग देने का वादा किया। उन्होंने अधीनस्थ न्यायालयों को भी पूरी तरह से कम्प्यूराइज्ड करने पर जोर दिया ताकि इसका पूरा लाभ मिल सके। हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष अनिल तिवारी, मुख्य सचिव राजीव कुमार सहित अन्य लोगों ने भी सम्बोधित किया। सभी अतिथियों का आभार न्यायमूर्ति तरूण अग्रवाल ने व्यक्त किया तथा कार्यक्रम का संचालन राजीव ने किया।